किसी को तकलीफ पहुंचाना दानवता : स्वामी प्रमोद
महर्षि मेंही आश्रम शांतिपुरी मुरहू में शनिवार को जिला स्तरीय दो दिवसीय सत्संग की शुरुआत हुई.
महर्षि मेंही आश्रम शांतिपुरी में दो दिवसीय सत्संग शुरू प्रतिनिधि, खूंटी महर्षि मेंही आश्रम शांतिपुरी मुरहू में शनिवार को जिला स्तरीय दो दिवसीय सत्संग की शुरुआत हुई. इस अवसर पर कुप्पाघाट भागलपुर आश्रम के स्वामी प्रमोद जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि सत्संग सुनने से सुधरने का मौका मिलता है. मनुष्य तन पाकर भक्ति से हमें नहीं चूकना चाहिए. उन्होंने कहा कि सत्संग में भक्ति के विषय में जानकारी दी जाती है. किसी को तकलीफ पहुंचाना दानवता है. नशा और हिंसा से जीवन दुखमय होता है. उन्होंने स्वामी विवेकानंद के प्रवचन का उदाहरण देते हुए कहा कि मनुष्य सद्कर्म करने से ही सद्गति पाता है. महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज ने कहा कि सांसों की तरह सत्संग भी मानव जीवन में अनिवार्य है. स्वामी डॉ निर्मलानंद जी महाराज ने कहा कि संत का संग ही सत्संग है. संत शास्त्रों की बात बताते हैं. परमात्मा के दूत होते हैं. स्वामी दयानंद सरस्वती, ईसा मसीह ने अपने अपराधियों को क्षमा कर दिया. महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियों का दान परमार्थ के लिए कर दिया. स्वामी परमानंद जी महाराज ने कहा कि कुसंग में रहने से सत्संग में मन नहीं लगता है. स्वामी लक्ष्मण जी महाराज, स्वामी जयकुमार जी महाराज, स्वामी बालकृष्ण जी महाराज, स्वामी नरेंद्र जी महाराज, स्वामी राममूर्ति, स्वामी राजेन्द्र बाबा ने भी अपने-अपने शब्दों में संतों और सत्संग की महिमा बतायी. इससे पहले सत्संग में आये संतों ने उलिहातू जाकर भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित किया. सत्संग में मुख्य रूप से लोदरो बाबा, मुरलीधर, दिगंबर दास, डॉ डीएन तिवारी, संजय कुमार, जूरन मुंडा, रामहरि साव, सनातन कुमार बीरु, रासबिहारी मुंडा, अर्जुन साव, सुरेश प्रसाद, उपेन्द्र नाथ गोप, राजकुमार, सूरजमल प्रसाद, डॉ रमेश वर्मा सहित अन्य उपस्थित थे.
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