पत्थलगड़ी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले विजय कुजूर बरी, अधिकारियों को 12 घंटे तक घेर कर रखने का आरोप था

Pathalgadi movement: पत्थलगड़ी मामले के मुख्य आरोपी विजय कुजूर समेत कई अन्य आरोपी दोष मुक्त हो गये हैं. उनके खिलाफ अदालत को कोई साक्ष्य नहीं मिला.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 19, 2024 11:00 AM

Pathalgadi Movement, रांची: खूंटी में चर्चित पत्थलगड़ी मामले के मुख्य आरोपी विजय कुजूर सहित कई अन्य आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया गया है. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में विजय कुजूर, कृष्णा हांसदा, बिरसा पहान, बैजू पहान, चरकू पहान, नागेश्वर मुंडा, पाउल टूटी, छोटू नायक, उमेश चंद्र गोस्वामी, कार्तिक महतो और लिया एग्नेस टूटी को दोष मुक्त करते हुए बरी किया है. विजय कुजूर ने बताया कि उनके खिलाफ खूंटी और सरायकेला जिला में कुल आठ मामले दर्ज थे. इनमें से सात मामले सरकार ने वापस ले लिये थे. खूंटी का एक मामला ट्रायल चलने के बाद बुधवार को समाप्त हो गया. कोर्ट में अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपों को सिद्ध नहीं किया जा सका. पत्थलगड़ी आंदोलन के नेतृत्वकर्ता विजय कुजूर सहित अन्य को खूंटी थाना केस संख्या 143/17, जीआर- 347/2017 में कोर्ट द्वारा बरी किया गया है.

अधिकारियों को 12 घंटे तक घेर कर रखने का था आरोप :

विजय कुजूर, बिरसा पहान, बबीता कच्छप, कृष्णा हांसदा, कांकी ग्राम प्रधान नथनियल मुंडा, बालगोविंद तिर्की, युसूफ पूर्ति, सुखराम मुंडा सहित अन्य पर आरोप था कि उनके बहकावे पर 500-600 लोगों ने खूंटी थाना क्षेत्र के कांकी में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को 12 घंटे से अधिक देर तक घेर कर रखा था. इस मामले में पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी अहमद अली के बयान के आधार पर 25 अगस्त 2017 को खूंटी थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसमें सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने सहित धारा-147, 148, 149, 341, 342, 353, 504, 506, 120 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

मानहानि का मामला दर्ज करने पर विचार: विजय कुजूर

फैसले के बाद विजय कुजूर ने कहा : संविधान के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलता रहेगा. समाज का सामाजिक, आर्थिक सशक्तीकरण जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने केस किया, उससे परिवार के लोग और सभी परेशान हुए. आर्थिक और सामाजिक क्षति हुई. सरकार पर मानहानि और कंपनसेशन का मामला दर्ज करने का विचार किया जा रहा है. तत्कालीन डीसी और एसपी पर एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का भी विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने केस वापस लिया, उसके लिये धन्यवाद कहेंगे, लेकिन सरकार ने सभी केस पूरी तरह से वापस नहीं लिया था.

जिसके कारण परेशान होना पड़ा. विजय कुजूर ने कहा कि वर्ष 2016 में आदिवासी महासभा ने महसूस किया कि देश में आदिवासियों को तभी न्याय मिल पायेगा, जब वह संवैधानिक रूप से जागरूक होंगे. उसके बाद पत्थलगड़ी कर आदिवासियों को जागरूक करने का काम शुरू किया गया. 2017 में खूंटी जिले के भंडारा गांव से सर्वप्रथम पत्थलगड़ी कार्यक्रम प्रारंभ हुआ. बाद में कई गांवों में हुआ.

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