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बांस व कपड़े से बनाया जा रहा मोर के पंखनुमा पंडाल

सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति पूजा की तैयारी जोरों से कर रही है.

प्रतिनिधि, तोरपा : सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति पूजा की तैयारी जोरों से कर रही है. दुर्गा मंदिर के सामने भव्य पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है. पश्चित बंगाल के कारीगर पंडाल व प्रतिमा बनाने में जुटे हुए हैं. समिति के महासचिव मधुसूदन जायसवाल ने बताया कि इस बार मोर के पंख के आकार का पंडाल बनाया जा रहा है. पंडाल के निर्माण में कपड़ा व बांस का प्रयोग हो रहा है. पंडाल के आगे बटरफ्लाई आकर्षण का केंद्र होगा. बटरफ्लाई के अगल-बगल से श्रद्धालु पंडाल में प्रवेश करेंगे. रंगीन बल्बों से सजेगा मां का दरबार : समिति इस वर्ष भव्य लाइटिंग की तैयारी की है. महासचिव ने बताया कि इस समिति ने लाइटिंग व बाजा के लिए पश्चित बंगाल से कारीगरों को बुलाया है. इसके अलावा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी समिति के तत्वावधान में रावण दहन का कार्यक्रम किया जायेगा. समिति में शामिल लोग : दुर्गा पूजा के सफल आयोजन को लेकर सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति का गठन किया गया. जिसमें अध्यक्ष संजय साहू, महासचिव मधुसूदन जायसवाल, सचिव सुनील सोनी, मनोज यादव व रोहित साहू, उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार, रामवृत्त सिंह, मोहित जायसवाल व निखिल साहू, कोषाध्यक्ष राजा साहू, उपकोषाध्यक्ष पवन गुप्ता व निशांत जायसवाल बनाये गये हैं. पूजा प्रभारी जगदीप गोप, बिपिन कुमार, राजू साहू व विशाल साहू, पंडाल प्रभारी मुकेश साहू, श्रीकांत जायसवाल, रोहित साहू व गगन यादव, रावण दहन प्रभारी बीरेंद्र साहू, श्रवण साहू, नारायण साहू, बजरंग साहू, देवानंद साहू, निखिल वर्मा, राहुल महतो, विजेता सिंह, निशांत गुप्ता, उपेंद्र साहू, शत्रुघ्न साहू, राजकुमार मंडल, राहुल साहू, सोनू यादव, सकुल नायक, संदीप साहू, राजेश नायक व आनंद गुप्ता बनाये गये हैं. संरक्षक दिवाकर केशरी, राधेश्याम भगत, दिनेश कांशी, तुलसी भगत, ओम केशरी, जितेंद्र साहू, प्रवीण भगत, किशोर कुमार, रमेश साहू, दिलीप गुप्ता व शिवशंकर साहू बनाये गये हैं. 1962 से हो रही है पूजा : सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति तोरपा 1962 से दुर्गा पूजा आयोजित कर रही है. लोग बताते हैं कि स्थानीय चतुर साहू, रामनरेश भगत, रामलखन भगत, रामदयाल भगत, रामनारायण भगत, धुरंधर सिंह आदि ने मिलकर दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी. पहले मेंढ़ (प्रतिमा) स्थापित कर पूजा की जाती थी. झाड़ी, साड़ी आदि से सजावट की जाती थी. वर्तमान में पक्के मंदिर में मां दुर्गा व अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है.

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