प्रतिनिधि, खूंटी मुरहू के डौगड़ा में सरना धर्म सोतो: समिति के द्वारा आयोजित दो दिवसीय सरना धर्म प्रार्थना सभा रविवार को संपन्न हो गयी. मुख्य अतिथि रवि तिग्गा ने कहा कि सरना प्रकृति पर आधारित मानव सभ्यता का प्राचीन धर्म है. यह सभी धर्मों का आधार और संरक्षक है. सरना धर्म की अपनी धार्मिक विधि-विधान, बहुमूल्य जीवन शैली, दर्शन तथा आदर्श है. जिसमें लाखों लोगों की धार्मिक आस्था-विश्वास है. परंतु सरना धर्म कोड तथा आदिवासी अधिकारों के प्रति उदासीनता है. सरना धर्म कोड के अभाव के कारण न केवल आदिवासियों के धार्मिक व सामाजिक एकता टूटी है. बल्कि धार्मिक तथा सामाजिक व्यवस्था कमजोर हो रही है. जिससे अपनी अस्तित्व व अस्मिता विलुप्त होता जा रहा है. सरना, जायर, देशाउली, समसान, जतरा स्थल नष्ट किया जा रहा है. अतः सरना समाज एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए आदिवासी अधिकार सख्ती से लागू हो. विशिष्ट अतिथि माधु बारला ने कहा कि सिंगबोंगा की स्तुति से मानव जीवन में भक्ति व श्रद्धा बढ़ती है. हमें जीवन को खुशहाली लाने के लिए हमेशा धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए. इससे पहले धर्मगुरु बगराय मुंडा, धर्मगुरु भैयाराम ओड़ेया, बिरसा कंडीर की अगुवाई में अनुयायियों के साथ सरना स्थल में भगवान सिंगबोंगा की पूजा-पाठ कर सुख, शांति और खुशहाली की कामना की और पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मौके पर डॉ सीताराम मुंडा, जयराम गुड़िया, मंगा ओड़ेया, रेणू तिर्की, हीरा मिंज, सुभाषिनी पूर्ति, बंटी ओड़ेया, जमुना मुंडू, बुधराम सिंह मुंडा सहित अन्य उपस्थित थे.
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