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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन बना कचरा डंपिंग यार्ड

लगभग चार साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी अब तक यह ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के रूप में परिवर्तित नहीं हो सका है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 7, 2024 5:48 PM

खूंटी (चंदन कुमार)

खूंटी शहरी क्षेत्र में कचरा प्रबंधन के लिए बेलाहाथी में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की स्थापना की गयी है. लगभग चार साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी अब तक यह ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के रूप में परिवर्तित नहीं हो सका है. बल्कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए दी गयी जमीन सिर्फ कचरा डंपिंग यार्ड बनकर रह गया है. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए ठीक से मशीनें नहीं लगायी गयी हैं. जो मशीनें लगायी गयी हैं, उसका भी उपयोग शुरू नहीं हुआ है. जिसके कारण मशीनों में जंग लग रही है. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए तय एजेंसी केएमएसडब्ल्यू सिर्फ शहर से कचरा का उठाव करती है. कचरा लाकर यहां डंप कर रही है. कचरा का प्रबंधन नहीं किये जाने के कारण पूरे क्षेत्र में दुर्गंध और गंदगी फैल रही है. आसपास के क्षेत्र में बीमारी फैलने का भी खतरा उत्पन्न हो गया है. काम की धीमी गति के कारण जिला प्रशासन द्वारा एजेंसी पर कार्रवाई भी की जा चुकी है. पूर्व उपायुक्त शशि रंजन ने एजेंसी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. नगर पंचायत प्रशासक सृष्टि दिप्रिया मिंज ने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए कंसर्न टू ऑपरेट की अनुमति मिल चुकी है. एजेंसी को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का काम शुरू करने का निर्देश दिया गया है. उम्मीद है कि एजेंसी जल्द ही काम भी शुरू कर देगा.

प्रति माह 6.5 लाख रुपये का हो रहा है खर्च

केएमएसडब्ल्यू कंपनी को शहर से कचरा उठाव करने और उसका प्रबंधन करने का कार्य का जिम्मा है. शहर से उसे डोर-टू-डोर जाकर कचरा का उठाव करना है. इसके लिए नगर पंचायत द्वारा प्रति माह एजेंसी को 6.5 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है. बावजूद एजेंसी द्वारा सिर्फ मुख्य सड़कों से ही कचरा का उठाव किया जाता है. उसमें भी कई सड़कें तो ऐसी हैं जहां, एजेंसी की गाड़ी सप्ताह में तीन से चार दिन ही जाती है. वहीं गली-मुहल्लों में बेहद कम ही कचरा उठाव के लिए गाड़ी जाती है.

नगर पंचायत ने दिये हैं वाहन

एजेंसी को शहर से कचरा उठाव के लिए कुल 12 वाहन प्रदान किया गया है. जिसका एजेंसी द्वारा उचित देखरेख नहीं किया जाता है. जिसके कारण कई वाहन खराब हो चुके हैं. वाहनों की मरम्मत नहीं किये जाने के कारण कई बार एजेंसी का भुगतान भी रोका गया है. जानकारी के अनुसार फिलहाल पांच ऑटो टिपर और दो ट्रैक्टर कार्य कर रहे हैं.

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