रांची : कोडरमा के डोमचांच में जननायक मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का कार्यक्रम था. वे ट्रेन से दिल्ली से कोडरमा पहुंचे. सुबह डोमचांच में उनका कार्यक्रम था. इससे पहले उन्होंने गठरी में कपड़े बांध सुबह पांच बजे बाथरूम में घुसे और करीब सात बजे तक सारे कपड़े धोने के बाद नहा-धोकर निकले. सूखी रोटी, सब्जी खायी. अधिकारियों को खाने-पीने के लिए कोई निर्देश नहीं था. इसके बाद उन्होंने डोमचांच में श्रमदान भी किया. यह पूरा संस्मरण स्व ठाकुर के अभिन्न मित्र सोशलिस्ट पार्टी के नेता व हजारीबाग के प्रसिद्ध अधिवक्ता रहे बैकुंठनाथ डे ने सुनाया. श्री डे वर्ष 1948 से कर्पूरी के मित्र रहे. कर्पूरी हजारीबाग में इनके घर सप्ताह भर रुकते थे. श्री डे की पत्नी रानी डे हजारीबाग से 1977 में विधायक बनी थीं.
हाल में ही श्रीमती डे का निधन हुआ है. श्री डे ने एक ऐसा संस्मरण सुनाया, जिससे कर्पूरी की राजनीतिक शुचिता-ईमानदारी की ऐसी झलक मिलती है, जो शायद आज बहुसंख्यक राजनीतिज्ञों में संभव न हो. तब हजारीबाग जिले की केदला कोलियरी में मुख्यमंत्री कर्पूरी की सभा थी. हजारीबाग क्लब में उनके सम्मान में भोज रखा गया. वहां डीसी, एसपी सब मौजूद थे. इसी दौरान श्री डे को सूचना मिली कि यह भोज किसी कोयला माफिया के खर्च से किया जा रहा है. यह बात श्री डे ने कर्पूरी ठाकुर को बतायी.
इतना सुनना था कि मुख्यमंत्री सिरदर्द का बहाना बना कर सर्किट हाउस चले गये. सुबह कुछ नेता कर्पूरी से मिलने पहुंचे और शिकायत कर दी कि जो डे साहब बोलते हैं, आप सुनते हैं. इस पर मुख्यमंत्री कर्पूरी ने कहा : उसने तो इज्जत बचा ली. मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहता. बिहार के दिग्गज सोशलिस्ट नेता गुलाम सरवर ‘डिफेंस ऑफ इंडिया रूल’ के तहत गिरफ्तार किये गये. कर्पूरी उनसे मिलने हजारीबाग आ गये. जेल प्रशासन ने रोक दिया. इसके बाद वह अपने वकील मित्र के मुंशी बनकर गुलाम सरवर से मिले.
कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में शराब बंदी की थी. तब भी हजारीबाग में शराब बिक्री हो रही थी. डे साहब ने दो बोतल शराब खरीदी और सीधे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे. दोनों बोतलें उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने रख दीं और कहा : लीजिए यही शराब बंदी है आपके राज में. मुख्यमंत्री कर्पूरी ने कहा : इसको तुरंत बैग में रखिए. कहां लेकर आ गये हैं? कोई देखेगा, तो कहेगा हम दोनों शराब पीते हैं. इसके बाद विधायक रानी डे ने दोनों बोतल विधानसभा में रख दी. कर्पूरी अपनी आलोचना से भी नहीं डरते थे. उन्होंने तुरंत हजारीबाग प्रशासन को कड़ाई बरतने का आदेश दिया. अधिवक्ता श्री डे ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए कभी भी अपने काफिले में स्कॉट नहीं रखा.