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कोडरमा जिला कांग्रेस अध्यक्ष: गिरफ्तार आरोपी ने किया खुलासा, जंगल में किया था विस्फोट का परीक्षण

II विकास II गिरफ्तार मुनेश के भाई पवन ने पुलिस को दिये बयान में किये कई खुलासे कोडरमा : जिला कांग्रेस अध्यक्ष शंकर यादव की स्कॉर्पियो को बम प्लांट कर उड़ाने से पहले अपराधियों ने बम विस्फोट का परीक्षण किया था. हजारीबाग जिले के कटमदाग थाना क्षेत्र के पडहेरिया जंगल में एक सिलिंडर बम के […]

II विकास II
गिरफ्तार मुनेश के भाई पवन ने पुलिस को दिये बयान में किये कई खुलासे
कोडरमा : जिला कांग्रेस अध्यक्ष शंकर यादव की स्कॉर्पियो को बम प्लांट कर उड़ाने से पहले अपराधियों ने बम विस्फोट का परीक्षण किया था. हजारीबाग जिले के कटमदाग थाना क्षेत्र के पडहेरिया जंगल में एक सिलिंडर बम के जरिये विस्फोट का परीक्षण किया गया था. यहां परीक्षण सफल रहने के बाद ऑटो में बम प्लांट किया गया और इसे घटनास्थल पर लगाया गया.
उक्त खुलासा हत्याकांड में गिरफ्तारी मुनेश यादव के छोटे भाई पवन यादव ने पुलिस को दिये अपने स्वीकारोक्ति बयान में किया है. पवन के अनुसार मुनेश ने ऑटो में बम प्लांट करने के लिए हजारीबाग के जाकीर हुसैन रोड स्थित मो अलताफ व डेमोटांड़ के वर्कशॉप में कार्य कराया था. ऑटो में पांच सिलिंडर फीट किये गये थे. इसमें भारी मात्रा में विस्फोटक के अलावा करीब 46 किलो स्पलींटर का प्रयोग किया गया था.
पवन के अनुसार उसने नरेश यादव, सुदीप यादव व अन्य के साथ मिल कर आठ फरवरी को ही ढाब थाम के पास स्थित घटनास्थल पर जाकर अस्थायी ब्रेकर बनाने का कार्य किया था.
पडहेरिया जंगल में बम विस्फोट के परीक्षण स्थल पर आज भी गड्डा बना हुआ होगा. 12 फरवरी को घटनास्थल पर ऑटो को खड़ा किया गया था. ज्ञात हो कि गत 13 फरवरी को चंदवारा थाना क्षेत्र के ढाम थाम के पास अपराधियों ने ऑटो में बम प्लांट कर शंकर यादव की स्काॅर्पियो को उड़ा दिया था. घटना में शंकर यादव के साथ ही उनके निजी अंगरक्षक कृष्णा यादव की मौत हो गयी थी, जबकि चालक धर्मेंद्र यादव गंभीर रूप से घायल हो गया. पुलिस ने इस मामले का पांच दिनों के अंदर खुलासा करते हुए मुख्य आरोपी मुनेश यादव के साथ ही उसके छोटे भाई पवन यादव, नरेश यादव, सुदीप यादव, रामदेव यादव को गिरफ्तार किया था.
रिमोट को घटनास्थल पर फेंक भागा कोलकाता
पूछताछ में पवन ने बताया है कि ऑटो में बम प्लांट करने के बाद रिमोट दबाने से जब विस्फोट हुआ तो विस्फोट की आवाज सुनते ही नरेश आया और मोटरसाइकिल पर बैठ कर वह फरार हो गया.
रिमोट उसने घटनास्थल के पास में फेंक दिया. पहले वह उरवां मोड से हजारीबाग जाने वाली बस में चढ़ा. बस से ही उसने अपना मोबाइल व सिम कार्ड तोड़ कर नीचे फेंक दिया. उक्त सिम भाई मुनेश ने दिया था. यहां के बाद वह पडहेरिया पहुंचा और रामदेव यादव को रांची स्टेशन छोड़ देने को कहा. अपनी भाभी को साथ लेकर वह स्कॉर्पियो से रांची रेलवे स्टेशन पहुंचा और फिर कोलकाता. यहां पुलिस ने उसे अचानक रुकने का इशारा किया तो अपनी भाभी के साथ में होने की जानकारी पुलिस को नहीं दी.
मुनेश कटकमदाग के पडहेरिया में रह रहा था
पवन ने पुलिस की पूछताछ में बताया है कि 24 अक्तूबर 2017 को शंकर यादव पर पत्थर खदान के पास गोली चलाने की वारदात के बाद उसके पिता नाथो यादव व लंबू खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जबकि बड़े भाई मुनेश के पीछे पुलिस पड़ी थी. ऐसे में मुनेश ने कटकमदाग के पडहेरिया में शरण ली. यहां के रामदेव यादव से मुनेश का पूर्व में परिचय था.
पिछली घटना के बाद मुनेश यहां अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रह रहा था. इसी दौरान आगे की घटना की रणनीति तैयार की जाने लगी. वहीं जेल भेजे गये एक अन्य आरोपी रामदेव यादव ने अपनी बयान में कहा है कि एक समारोह में मुनेश से उसकी जान पहचान हुई थी. गोलीकांड के बाद मुनेश ने खुद को छिपने के लिए जगह मांगी तो उसने अपने पडहेरिया स्थित ससुराल परिवार के रिश्तेदार गुड्डन गोप के यहां कमरा दिला दिया. घटना के बाद उसने पवन को रांची स्टेशन छोड़ा.
दस हजार प्रतिमाह देना तय हुआ था, लेिकन मुकर गया था शंकर
पवन के अनुसार उसके पिता नाथो यादव के नाम से चौपारण थाना क्षेत्र में खदान की जमीन थी. इसी जमीन के पास शंकर यादव ने खनन कार्य शुरू किया था. विवाद शुरू हुआ तो कोर्ट में केस चलने लगा. हाइकोर्ट में भी शंकर ने केस जीत लिया. इसी बीच खनन को लेकर शंकर यादव व उसके पिता के बीच प्रति माह दस हजार रुपये देने की बात तय हुई.
शंकर ने कुछ माह तक पैसे दिये, पर उसने बाद में देना बंद कर दिया. यही नहीं इसके बाद लगातार वह हमारी जमीन पर खनन कार्य करने लगा. भाई मुनेश ने उसे कई बार रोका, पर शंकर अपने रसूख के बल पर आगे बढ़ते रहा. भाई मुनेश से विवाद हुआ तो शंकर ने उसके पीछे आदमी लगा दिया. यह बात मुनेश ने मुझे बतायी थी. एक बार हमारी जमीन पर खनन करने से मुनेश ने शंकर को रोका तो उसे भगा दिया गया.
आइएएस एकेडमी में पढ़नेवाला छात्र पहुंचा जेल
पवन के अनुसार 24 अक्तूबर की घटना से पहले उसे पूरे मामले की बहुत जानकारी नहीं थी. वह दिल्ली में रहकर एक आइएएस एकेडमी में पढ़ाई कर रहा था. दीपावली के बाद मुनेश दिल्ली आया और उसने बताया था कि शंकर यादव ने उसके पीछे आदमी छोड़ दिया है.
साथ ही शंकर लगातार उसके खदान की जमीन पर खनन कार्य कर रहा है. अगर शंकर को नहीं मारेंगे तो वह मुझे मार देगा. इसके बाद गोली चलाने की घटना हुई. इसमें शंकर बच गया तो पडहेरिया में रहने के दौरान ही मुनेश दोबारा चार-पांच जनवरी को दिल्ली आया. मुनेश ने पूरी योजना की जानकारी दी और कहा कि बम का रिमोट तुम्हें ही दबाना है. क्या पता इस काम के लिए जो आदमी रखेंगे वह शंकर यादव का निकल जाये. इसलिए मुझे किसी अन्य पर भरोसा नहीं है. अब घटना के बाद आइएएस एकेडमी में पढ़ने वाला छात्र पवन सलाखों के पीछे पहुंच गया है.
फाइनेंस करनेवाले अशोक को खोज रही पुलिस
इधर, मामले की जांच को लेकर गठित एसआइटी की टीम रिमांड पर लिए गये मुख्य आरोपी मुनेश यादव के खुलासे के बाद फाइनेंस करने वाले नामजद आरोपी अशोक यादव को तलाश रही है.
झुमरी निवासी गुल्ली यादव के पुत्र अशोक यादव ने ही मुनेश को घटना के पूर्व मदद के रूप में दो लाख रुपये व कुछ विस्फोटक उपलब्ध कराया था. पैसे व विस्फोटक हजारीबाग के एक क्षेत्र में मुनेश को पहुंचाया गया था. नये खुलासे के बाद शंकर यादव की पत्नी हेमलता यादव के द्वारा लगाये गये आरोप को पूरी तरह बल मिला है.
हेमलता ने गुल्ली यादव के चारों पुत्रों को नामजद किया था. हालांकि, अभी तक की जांच में अशोक यादव की भूमिका सामने आ गयी है. इधर, पांच दिन के रिमांड पर लिए गये मुनेश ने दूसरे दिन हुई पूछताछ में अभी तक अपने बयान में बम प्लांट करने में किसी एक्सपर्ट का सहयोग मिलने से इंकार किया है. वह बार-बार पुलिस टीम को यही बता रहा है कि बम उसने खुद प्लांट किया था. बम प्लांट करने की पूरी जानकारी उसे है.

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