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कोडरमा में सीएम बोले : बाल श्रम व ट्रैफिकिंग चिंता का विषय, समृद्ध राज्य की गोद में पल रही है गरीबी, खत्म करेंगे
कोडरमा : सीएम रघुवर दास ने रविवार को कोडरमा में कहा कि झारखंड जैसे समृद्ध राज्य में गरीबी सबसे बड़ी समस्या है. इसे समाप्त करना सरकार की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि गरीबों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चल रही है, लेकिन पूरा बदलाव सामाजिक सहयोग के बिना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि […]
कोडरमा : सीएम रघुवर दास ने रविवार को कोडरमा में कहा कि झारखंड जैसे समृद्ध राज्य में गरीबी सबसे बड़ी समस्या है. इसे समाप्त करना सरकार की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि गरीबों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चल रही है, लेकिन पूरा बदलाव सामाजिक सहयोग के बिना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि बच्चे समाज व देश के भविष्य होते हैं. लेकिन बाल श्रम का अभिशाप पूरी दुनिया के लिए आज चिंता का विषय है. बाल श्रम को मिटाने के लिए शिक्षा भी अनिवार्य है.
लोग आज भी बेटा-बेटी में फर्क की सोच को बदल नहीं पा रहे हैं. ऐसे में सरकार 12 से 18 साल तक की बच्चियों को हाइस्कूल तक की शिक्षा अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. सभी दलों की सहमति मिलने के बाद इसे अनिवार्य कर दिया जायेगा. सीएम बागीटांड़ स्टेडियम में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.
इस मौके पर नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो भी मौजूद थे. कार्यक्रम में पहुंचे हजारों बच्चों को देख कर सीएम ने कहा कि इतना बड़ा बाल संगम पहली बार आयोजित हुआ है, इसके लिए फाउंडेशन बधाई का पात्र है. उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों को अच्छी शिक्षा व पोषाहार प्रदान कर रही है. स्कूलों में ड्राॅप आउट कम हुए है.
ट्रैफिकिंग पर नजर : राज्य में हो रही ट्रैफिकिंग पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि बिचौलियों के कारण बच्चों का आर्थिक व शारीरिक शोषण हो रहा है, बच्चे बेच दिये जा रहे हैं. इसको लेकर प्रधानमंत्री भी चिंतित हैं. राज्यस्तर पर ट्रैफिकिंग रोकने को लेकर कार्रवाई हो रही है, इसको लेकर केंद्र में बिल पारित होने की उम्मीद है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्लेसमेंट कमेटी बनाने का निर्देश दिया है, ताकि दूसरे प्रदेशों में गये युवक-युवतियों के बारे में जानकारी रखी जा सके. समृद्ध राज्य के बच्चे दूसरे प्रदेशों में नौकर-नौकरानी का कार्य कर रहे हैं, यह राज्य के लिए कलंक की बात है. सीएम ने कहा कि जन शक्ति व सरकार की शक्ति मिल कर विसंगति को दूर करेंगे, लेकिन इससे पहले लोग बेटियों को पराया घर की धन मानने की सोच को बदलें.
राज्य भर में बनायें बाल मित्र ग्राम : सीएम ने कहा कि फाउंडेशन की मदद से पूरे राज्य में बाल पंचायत का गठन हो और बाल मित्र ग्राम बनाया जाये.
प्रत्येक बाल मित्र ग्राम के संयोजक को सरकार पांच सौ रुपये प्रोत्साहन राशि देगी. सीएम ने कहा कि जब मैं श्रम मंत्री था तो कई जगहों पर बाल मजदूरों को मुक्त कराया. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या गरीबी की है जिसे पहले दूर करना होगा. उन्होंने अभ्रक क्षेत्र में बाल श्रम मुक्ति को लेकर चल रहे कार्य की तरह खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, गुमला में कार्य करने की जरूरत बतायी. सीएम ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक तीस हजार बच्चे बच्चियां दूसरे प्रदेशों में हैं.
निचले स्तर के भ्रष्टाचार को खत्म करना है
इधर, कोडरमा के इंदरवा स्थित बिरसा फुटबॉल मैदान में आयोजित जन चौपाल सह विकास मेला में सीएम रघुवर दास ने सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी. वहीं, उन्होंने लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट देने की मांग भी की. उन्होंने कहा कि, 2014 से पहले का कोडरमा और अभी के कोडरमा में बदलाव नजर आ रहा है. सीएम ने लोगों को चेताते हुए कहा कि फिर चुनाव आ रहा है. लोग जात-पात, सम्प्रदाय के नाम पर बहकायेंगे, लेकिन बहकना नहीं, सोच समझ कर वोट देना.
उन्होंने कहा कि ऊपर के भ्र्ष्टाचार को तो खत्म कर दिया गया है अब निचले स्तर के भ्रष्टाचार को खत्म किया जाएगा. सरकार की मंशा है कि यहां के किसान उन्नत खेती करें, ताकि झारखंड की सब्जी दुबई समेत अन्य यूरोपीय देशों में भेजा जा सके. सीएम ने यहां करीब तीन सौ करोड़ की लागत वाली विभन्नि योजनाओं का शिलान्याव उद्घाटन भी किया.
हाइस्कूल तक की लड़कियों की शिक्षा अनिवार्य करनेपर विचार, आम सहमति के बाद होगा लागू
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा –बिना हथियार के मिल सकता है सामाजिक न्याय व समानताशांति के नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि कोडरमा से उनका वर्षों से जुड़ाव रहा है. यहां की मिट्टी की ताकत व लोगों के सहयोग ने उन्हें नोबेल दिलाया. मेरा सपना बाल मित्र झारखंड व भारत का है. बच्चों को उनके अधिकार मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा. शिक्षा, आजादी के साथ आगे बढ़ने व पेट भर भोजन का अधिकार बच्चों का है.
मैं जब 2005 में पहली बार कोडरमा आया तो यहां माइका की चमक पर बाल श्रम की बदनामी नजर आयी. विदेशी मीडिया का भी फोकस इसी पर था. ऐसे में बदलाव की अलख शुरू हुई और आज माइका माइंस क्षेत्र के 126 गांवों में बाल मित्र का गठन हो चुका है. ये सभी गांव बाल मजदूरी व बाल विवाह से मुक्त हैं. उन्होंने कहा कि बाल विवाह सिर्फ कानून से नहीं ,आंदोलन से रुकेगा. सत्यार्थी ने कहा कि सामाजिक न्याय व समानता बिना हथियार के प्राप्त हो सकता है, इसे बाल पंचायत ने साबित किया है. बाल पंचायत की प्रतिनिधियों ने 600 बाल विवाह रोका है.
अभ्रक क्षेत्र को बाल श्रम मुक्त बनाने को लेकर एमओयू
कार्यक्रम के दौरान फाउंडेशन व राज्य सरकार के बीच अभ्रक क्षेत्र को बाल श्रम मुक्त बनाने को लेकर एमओयू हुआ. इस एमओयू पर श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव राजीव अरुण एक्का व फाउंडेशन की पी नागरे मालती ने हस्ताक्षर किये.
रोजगार की नहीं, शिक्षा व हुनर की कमी
सीएम ने कहा कि बच्चों को चिह्नित कर स्किल डेवलपमेंट कराया जायेगा. 12 जनवरी तक एक लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य है. अब तक 34 हजार लोगों को रोजगार दिया जा चुका है . राज्य में रोजगार की नहीं, शिक्षा व हुनर की कमी है. पिछले 14 साल से बुनियादी जरूरतों पर ध्यान नहीं देने के कारण गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं मिल सकी, अब सरकार का फोकस इस पर है. 15 नवंबर को नव नियुक्त शिक्षकों को प्रमाणपत्र देने के बाद स्कूलों से शिक्षकों की कमी दूर होगी.
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