पबजी ने उड़ायी नींद, सट्टा तक लगा रहे युवा
झुमरीतिलैया : इन दिनों बच्चों में मोबाइल गेम का क्रेज इस कदर बढ़ गया है कि बच्चे घंटों मोबाइल में चिपके रहते हैं. हाल यह है कि बच्चे स्कूल जाने में भी आनाकानी करने लगे हैं. वर्चुअल गेम के शिकार बच्चे किसी प्रकार स्कूल चले भी गए तो क्लास में ध्यान नहीं दे पाते और […]
झुमरीतिलैया : इन दिनों बच्चों में मोबाइल गेम का क्रेज इस कदर बढ़ गया है कि बच्चे घंटों मोबाइल में चिपके रहते हैं. हाल यह है कि बच्चे स्कूल जाने में भी आनाकानी करने लगे हैं. वर्चुअल गेम के शिकार बच्चे किसी प्रकार स्कूल चले भी गए तो क्लास में ध्यान नहीं दे पाते और होमवर्क छोड़ देते हैं.
कुछ बच्चे अपने शिड्यूल टाइम में पढ़ाई तो कर रहे हैं, लेकिन बाकी के समय वे भी मोबाइल से चिपके दिखाई देते हैं. इसमें ज्यादातर बच्चे पबजी गेम के शौकीन हैं. हाल यह है कि बच्चे व युवा पबजी गेम के एडिक्ट हो चुके हैं और वे गेम छोड़ नहीं पा रहे.
इससे पहले भी बच्चों व युवाओं में ऑनलाइन मोबाइल गेम ब्लू व्हेल गेम के प्रति क्रेज बढा था, परंतु इस गेम पर रोक के बाद स्थिति बेहतर हो गयी थी, पर इन दिनों पबजी ने नींद उड़ा दी है.
आज इस गेम का क्रेज कक्षा आठ से लेकर 12वीं तक के बच्चों में सबसे अधिक दिख रहा है. यही नहीं इसका युवा वर्ग में भी क्रेज व्याप्त है. पबजी खेलने वाले बच्चों व युवाओं से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस गेम में आगे का टारगेट उन्हें खेलने के लिए मजबूर कर रहा है. बच्चों में प्राचीन खेलों के बदले मोबाइल गेम की बढ़ती रुचि से अभिभावक परेशान हैं.
अभिभावकों ने इस समस्या का समाधान पाने के लिए चिकित्सकों की मदद लेनी शुरू कर दी है. अभिभावकों की मानें तो आज के बच्चे व युवा मैदान में खेलने वाले शारीरिक खेलों से दूर मोबाइल में लगे रहते हैं जिससे उनके शारीरिक व मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ रहा है. यही नहीं मोबाइल के कारण पढ़ाई में भी ध्यान नहीं दे रहे और बच्चों का रिजल्ट प्रतिशत में गिरावट आ रही है. इसके अलावा बच्चे मोबाइल की दुनिया में ही सिमटते जा रहे हैं और अपनी प्राचीन सभ्यता और खेल को भूलते जा रहे हैं.