दादा-दादी, नाना-नानी को किया गया सम्मानित
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बुजुर्गों का सम्मान व सेवा करना धर्म
दादा-दादी, नाना-नानी को किया गया सम्मानित झुमरीतिलैया : कैलाश राय सरस्वती विद्या मंदिर में शनिवार को दादा-दादी, नाना-नानी सम्मान समारोह मनाया गया. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि पारस प्रसाद सिंह, विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह, सचिव नितेश चंद्रवंशी, कोषाध्यक्ष सेठ साहू व सदस्य विजय नारायण ने की. अतिथियों का परिचय प्राचार्य मृत्युंजय सहाय […]
झुमरीतिलैया : कैलाश राय सरस्वती विद्या मंदिर में शनिवार को दादा-दादी, नाना-नानी सम्मान समारोह मनाया गया. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि पारस प्रसाद सिंह, विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह, सचिव नितेश चंद्रवंशी, कोषाध्यक्ष सेठ साहू व सदस्य विजय नारायण ने की.
अतिथियों का परिचय प्राचार्य मृत्युंजय सहाय ने किया. विषय वस्तु में प्रवेश कराते हुए प्राचार्य ने कहा कि विद्यार्थियों में दादा-दादी, नाना-नानी व बुजुर्गों के प्रति सहानुभूति व सम्मान जागृत हो सके, इसलिए यह कार्यक्रम रखा गया है. साथ ही उन्होंने आधुनिक समय में बिखरते परिवार पर चिंता व्यक्त किया तथा संयुक्त परिवार की विशेषता बताते हुए संयुक्त परिवार पर बल दिया.
इस अवसर पर छात्राओं में निधि, काजल, अनुष्का, जयश्री, रिताक्षी, पूजा, लावन्या, सुकन्या, अंजली, संस्कृति, स्वाति, वीरा, प्रियंका, स्नेहा, मनिता, संजना आदि के द्वारा दादी अम्मा मान जाओ, मोरा सोना झारखंड, सखी कैसे जाये गानों पर नृत्य प्रस्तुत कर मन मोह लिया. विद्यालय के अध्यक्ष नारायण सिंह ने कहा कि आज हमारे परिवार में दादा-दादी, नाना-नानी व बुजुर्गों का स्थान ही छीन गया है. लोगों में बुजुर्गों के प्रति सम्मान खत्म होता दिखाई दे रहा है.
ऐसे समय में सरस्वती शिशु मंदिर ही एक ऐसा विद्यालय है जहां बच्चों में संस्कार और नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाता है. सचिव नितेश चंद्रवंशी ने कहा कि जिनके घर में दादा- दादी, नाना-नानी के द्वारा बच्चों को जो कहानियां सुनाई जाती है, उससे उनमें संस्कार, कर्त्तव्यनिष्ठा, अनुशासन, नैतिकता, देश प्रेम आदि गुणों का विकास होता है. मुख्य अतिथि पारस प्रसाद सिंह ने कहा कि बच्चों का काम केवल किताबी व स्कूली ज्ञान प्राप्त करना ही काफी नहीं है.
उन्हें परिवार के बुजुर्गों का सम्मान व सेवा करना चाहिए तथा अध्यात्म का भी ज्ञान होना चाहिए. इस अवसर पर कोकिल मोदी, रामजी वर्मा, रामलखन महतो, कुसुम देवी, गायत्री देवी, रीना देवी, तुलसी महतों, इंद्राणी देवी, पार्वती देवी, शारदा देवी, फूला देवी, प्रकाश मोदी, प्रेमचंद वर्णवाल, मीरा देवी, शांति देवी आदि दादा- दादी, नाना-नानी उपस्थित थे, जिन्हें जय माता दी का पट्टा व हनुमान चलीसा पुस्तक देकर सम्मानित किया गया. मंच संचालन कोमल शर्मा व धन्यवाद ज्ञापन आचार्य प्रदीप कुमार ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में आचार्य राजकुमार पंडित, मनोज कुमार सिंह, संतोष कुमार झा, नीरज कुमार, रामानुज पांडेय, विजय मिश्रा, उमाशंकर कुमार, शैलेश कुमार, डॉ धीरेंद्र कुमार सिंह, चंद्रशेखर कुमार, श्वेता श्रीवास्तव, रानी प्रसाद, शर्मिष्ठा साहा, बीरेंद्र प्रसाद, प्रभात सौरभ, पवन कुमार आदि ने अहम भूमिका निभायी.
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