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रोजे की हालत में इंसान फरिश्ता बन जाता है

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जयनगर : रमजान में हर बंदे की दुआ कुबूल होती है. रोजा हर अकीदतमंद को रखना फर्ज है. शुक्रवार को दूसरे जुम्मे की नमाज अदा कराने के बाद मस्जिद के इमामों ने कहा कि हदीस पाक में यह जिक्र आता है कि रमजान के मुकद्दस महीने में प्रत्येक रात में सुबहे सादिक आसमान से एक […]

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जयनगर : रमजान में हर बंदे की दुआ कुबूल होती है. रोजा हर अकीदतमंद को रखना फर्ज है. शुक्रवार को दूसरे जुम्मे की नमाज अदा कराने के बाद मस्जिद के इमामों ने कहा कि हदीस पाक में यह जिक्र आता है कि रमजान के मुकद्दस महीने में प्रत्येक रात में सुबहे सादिक आसमान से एक मुनादी यह ऐलान करता है. अच्छाई मांगने वाले यह मांगना खत्म कर और खुशी मना कि तेरी दुआ कुबूल हो गयी है. बुराई करनेवाले बुराई करने से बाज आ और इबरत हासिल कर.

उन्होंने कहा कि रोजे के हालात में इंसान एक फरिश्ता बन जाता है. कोई मगफिरत की तालिब उसकी तलब पूरी की जाये, कोई तौबा करनेवाले की दुआ कुबूल की जाये. अल्लाह तआला रमजानुल मुबारक की रात इफ्तार के वक्त साठ हजार गुनहगारों को दोजख से आजाद कर देता है और ईद्दुजहा के दिन पूरे महीने के बराबर गुनहगारों को माफी दी जाती है.
अल्लाह के करमों फजल से रहमत के सभी दरवाजे खोल दिये जाते हैं और खूब मग फिरत दरवाजे तक्सीन किये जाते हैं. काश हम गुनहगारों को माह-ए- रमजान और नबी पाक सल्लाह अलैह वसल्लम के सदके से रहमत भरे हाथों से रिहाई का परवान मिल जाये.

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