झारखंड विधानसभा चुनाव: शिक्षा मंत्री डॉ नीरा को विपक्ष से ज्यादा अपनों से खतरा, जानें कोडरमा विधानसभा क्षेत्र का लेखा-जोखा

विकास कोडरमा : पूरी दुनिया में अभ्रक नगरी के रूप में प्रसिद्व कोडरमा का राजनीतिक इतिहास समय के साथ बदलता रहा है. यहां पहली बार 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अवध बिहारी दीक्षित विजेता होकर विधायक बने थे तो, 1957 में छोटानागपुर संताल परगना जनता पार्टी के जीपी त्रिपाठी ने जीत हासिल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2019 7:49 AM
विकास
कोडरमा : पूरी दुनिया में अभ्रक नगरी के रूप में प्रसिद्व कोडरमा का राजनीतिक इतिहास समय के साथ बदलता रहा है. यहां पहली बार 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अवध बिहारी दीक्षित विजेता होकर विधायक बने थे तो, 1957 में छोटानागपुर संताल परगना जनता पार्टी के जीपी त्रिपाठी ने जीत हासिल की थी. शुरुआती दो विधानसभा चुनावों के बाद इस सीट पर कभी संघर्ष सोशलिस्ट पार्टी के विश्वनाथ मोदी तो कभी कांग्रेस के राजेंद्र नाथ दां जीते.
हालांकि, वर्ष 1990 में अचानक इस सीट पर बड़ा फेरबदल हुआ और कोडरमा से जनता दल के उम्मीदवार रमेश प्रसाद यादव विधायक चुने गये. इस जीत के बाद लगातार कई वर्षों तक चुनाव की धुरी रमेश यादव व बाद में यहां से विधायक बनीं उनकी पत्नी अन्नपूर्णा देवी के ईद-गिर्द घूमती रही. रमेश यादव के निधन के बाद 1998 के उप चुनाव में सहानुभूति लहर के बीच राजद की अन्नपूर्णा देवी ने भाजपा के रमेश सिंह को हराया और इसके बाद वह लगातार तीन बार जीतीं.
वर्ष 2000, 2005 व 2009 में विधायक चुनी गयीं. राजद के इस गढ़ में पहली बार वर्ष 2014 में भाजपा की उम्मीदवार डॉ नीरा यादव ने सेंध लगायी दिग्गज महिला नेत्री व मंत्री रही अन्नपूर्णा को पराजित किया. जिप उपाध्यक्ष से अचानक भाजपा की उम्मीदवार बनी डॉ नीरा ने एंटी इंनकबेंसी व जातीय समीकरण को तोड़ते हुए 13,525 मत के अंतर से जीत हासिल की थी.
विधानसभा के इस चुनाव के बाद पक्ष व विपक्ष के बीच तकरार का दौर चलता रहा, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तेजी से बदले समीकरण में अन्नपूर्णा देवी ने भाजपा का दामन थाम लिया और कोडरमा से भाजपा की सांसद बनीं.
अन्नपूर्णा के भाजपा में आ जाने से कोडरमा में एक तरह से विपक्ष की उम्मीदवारी को लेकर अभी बड़ा चेहरा नजर नहीं आ रहा है. वर्तमान मंत्री को विपक्ष से ज्यादा अपनों से चुनौती मिलेगी और इन्हीं दावेदारों में से कोई एक टिकट नहीं मिलने पर दूसरी तरफ मजबूती से मोर्चा संभाले नजर आयेगा. हालांकि, सभी दलों के नेता अपनी उम्मीदवारी को लेकर ताल ठोंक रहे हैं.
पिछले तीन चुनाव का रिकार्ड
वर्ष 2005
जीते : अन्नपूर्णा देवी (राजद)
मत : 46452
हारे : साजिद हुसैन (निर्दलीय)
मत : 19998
तीसरा स्थान : लालसा सिंह (भाजपा), मत : 19805
वर्ष 2009
जीते : अन्नपूर्णा देवी (राजद)
मत : 46922
हारे : रमेश सिंह (झाविमो)
मत : 29639
तीसरा स्थान : विजय साव (भाजपा), मत : 27654
वर्ष 2014
जीते : डॉ नीरा यादव (भाजपा)
मत : 84874
हारे : अन्नपूर्ण देवी (राजद)
मत : 71349
तीसरा स्थान : भीम साव (झाविमो), मत : 10629
तीन महत्वपूर्ण कार्य जो हुए
– करमा में मेडिकल कॉलेज के निर्माण की आधारशिला रखी गयी, निर्माण कार्य शुरू हो गया
– करीब 100 करोड़ की लागत से कोडरमा के बागीटांड में इंजीनियरिंग कॉलेज व टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज का निर्माण
– जेजे कालेज में पीजी की पढ़ाई शुरू, सभी प्रखंडों में डिग्री कॉलेज, डोमचांच में महिला डिग्री कॉलेज का निर्माण
तीन महत्वपूर्ण काम जो न हो सके
– इलाके के लिए पलायन बड़ा मुद्दा है. रोजगार को लेकर कोई उद्योग नहीं लगा. ढिबरा उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास बीच में लटक गया
– क्रशर व पत्थर उद्योग की स्थिति में सुधार को लेकर ठोस पहल नहीं हुई. कठोर नियमों के कारण व्यापार में मंदी आयी
– एक्सीडेंटल जोन कोडरमा में नहीं बन सका ट्रोमा सेंटर
राजद के गढ़ रहे कोडरमा में पहली बार 2014 में डॉ नीरा ने खिलाया था कमल
विपक्ष की उम्मीदवार रही अन्नपूर्णा देवी अब भाजपा की सांसद
रिकार्ड तोड़ विकास हुआ है : डॉ नीरा यादव
अपने कार्यकाल पर शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने कहा कि पांच साल बेमिसाल रहा है. कोडरमा में रिकॉर्ड तोड़ विकास के कार्य हुए हैं. बुनियादी सुविधाओं को बहाल कराने के लिए जितना हो सका हमने काम किया. शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पेयजल आपूर्ति, सड़क-पुल सभी की स्थिति में सकारात्मक सुधार आया है. कोडरमा को एजुकेशन हब बनाने का प्रयास काफी हद तक पूरा हुआ है. करमा में मेडिकल कॉलेज का निर्माण शुरू हो गया है, तो कोडरमा में इंजीनियरिंग कॉलेज, टीचर ट्रेनिंग कॉलेज खुद में उपलब्धि है. मुझे खुशी है कि हर घर में बिजली पहुंच गयी है.
सिर्फ खोखले दावे हैं, हुआ कुछ भी नहीं : भीम साव
पिछले विधानसभा चुनाव में झाविमो से चुनाव लड़ कर तीसरे स्थान पर रहे भीम साव ने मंत्री के पांच वर्ष के कार्यकाल को पूरी तरह फेल बताया है.
उन्होंने कहा कि इनके कार्यकाल में सिर्फ खोखले दावे किये जाते रहे, धरातल पर कुछ विकास कार्य नहीं हुआ है. मंत्री को क्षेत्र की चिंता कभी नहीं रही. मूलभूत समस्याओं की ओर इनका ध्यान नहीं गया. मध्यम वर्ग के लोग व पत्थर उद्योग से जुड़े व्यवसायी इनके कार्यकाल में ही ज्यादा परेशान किये गये. पत्थर उद्योग बड़ी चुनौती से जूझ रहा है. मंत्री कोडरमा को एजुकेशन हब बनाने का दावा करती हैं, पर सिर्फ भवन बना देने से क्या होगा.

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