बिचड़ा तैयार, किसान को बारिश का इंतजार
31 जुलाई तक लक्ष्य के अनुरूप 50 फीसदी भी धान की रोपनी नहीं हो पायी है जयनगर : खेतों में धान के बिचड़े तैयार हो गये हैं, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण किसान रोपनी नहीं कर रहे हैं.बारिश के इंतजार में किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं. 31 जुलाई तक लक्ष्य के […]
31 जुलाई तक लक्ष्य के अनुरूप 50 फीसदी भी धान की रोपनी नहीं हो पायी है
जयनगर : खेतों में धान के बिचड़े तैयार हो गये हैं, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण किसान रोपनी नहीं कर रहे हैं.बारिश के इंतजार में किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं. 31 जुलाई तक लक्ष्य के अनुरूप 50 प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं हो पायी है. पहले खेतों में पानी था, तो बिचड़े तैयार नहीं थे. अब जब बिचड़ा तैयार है, तो बारिश नहीं हो रही है. ऐसे में किसानों के समक्ष परेशानी उत्पन्न हो गयी है.
किसान 40 रुपये लीटर केरोसिन खरीद कर चेकडैम, तालाब व कुआं में पंपिंग सेट लगा कर खेतों का पटवन कर रहे हैं. खेती की वर्तमान स्थिति पर किसानों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. खेडोबर के किसान शिवकुमार यादव ने इसके लिए सरकार व जिला प्रशासन को जिम्मेवार ठहराते हुए कहा है कि यदि समय पर बीज उपलब्ध करा दिया जाता, तो शायद अब तक रोपनी हो जाती.
चिलोडीह के किसान झमन महतो ने कहा कि बिचड़ा तैयार है. मशीन से खेतों को पटा कर धान की रोपनी कर रहे हैं. भोंडो के किसान लोकनाथ साव ने कहा कि मुख्य समय में बारिश नहीं होने से सुखाड़ की संभावना बढ़ गयी है. मॉनसून की शुरुआत अच्छी थी, मगर जरूरत पर किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है. सिंगारडीह के किसान सिकंदर यादव ने कहा कि धान का पूरा रोपा तो हुआ नहीं. पानी के अभाव में मक्का व मडुआ भी खतरे में है.
चरकीपहरी के किसान कैलाश यादव ने कहा कि पानी का अभाव है. जैसे-तैसे रोपनी कर रहे हैं. अच्छी फसल की संभावना नहीं दिखती. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि धान की खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है. यदि शीघ्र ही बारिश नहीं हुई, तो किसानों की परेशानी बढ़ सकती है. विशेषज्ञों की मानें तो ताल तलैये के पानी से उसके आसपास की खेती हो सकती है. टांड़ वाली जमीन में धान लगाने से बेहतर है कि किसान दलहनी फसल लगायें.