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सीएए के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना शुरू, दिल्ली के शाहीन बाद की तर्ज पर प्रदर्शन की तैयारी

– सीएए काला कानून, गोड़से की नहीं गांधी के विचारों पर ही चलेगा देश : खालिद प्रतिनिधि, कोडरमा केंद्र की भाजपा सरकार के द्वारा लाये गये नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व संभावित एनआरसी, एनपीआर के विरोध में मंगलवार को असनाबाद में अनिश्चितकालीन धरना की शुरुआत हो गयी. पूर्व घोषित इस धरने की शुरुआत को लेकर […]

– सीएए काला कानून, गोड़से की नहीं गांधी के विचारों पर ही चलेगा देश : खालिद

प्रतिनिधि, कोडरमा

केंद्र की भाजपा सरकार के द्वारा लाये गये नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व संभावित एनआरसी, एनपीआर के विरोध में मंगलवार को असनाबाद में अनिश्चितकालीन धरना की शुरुआत हो गयी. पूर्व घोषित इस धरने की शुरुआत को लेकर सस्पेंस की स्थिति बनी हुई थी. अंतिम समय तक प्रशासनिक आदेश प्राप्त नहीं होने के कारण धरना को लेकर संशय बरकरार था, पर दोपहर दो बजे हम भारत के लोग के बैरत तले धरना की शुरुआत हुई.

धरना में शामिल लोगों ने कहा कि संविधान में लोकतांत्रिक व शांतिपूर्ण विरोध करने का अधिकार है. इसी के तहत धरना की शुरुआत की गयी है. धरना को विभिन्न दलों के नेताओं व संगठनों का समर्थन प्राप्त है. ऐसे में धरना स्थल पर भारी भीड़ जुटने की शुरुआत हो गयी है. दिल्ली के शाहीन बाद में हो रहे धरना के तर्ज पर यहां भी प्रदर्शन की तैयारी है, ताकि सरकार तक बात पहुंचाई जा सके.

जानकारी के अनुसार रांची पटना रोड के किनारे असनाबाद में शुरू हुए धरना कार्यक्रम के पहले दिन का संचालन ईश्वरी राणा व शदरूल होदा ने संयुक्त रूप से किया. संबोधित करते हुए राजद नेता खालिद खलील ने कहा कि पूरे देश में एक अलग विचारधारा को थोपने का प्रयास चल रहा है. देश को नफरत की आग में झोंकने व बांटने का प्रयास कुछ ताकतें कर रही है. इन ताकतों को कामयाब नहीं होने देना है.

खालिद ने कहा कि देश को गोड़से की नहीं, गांधी के विचारों की जरूरत है और गांधी जी के विचारों पर ही देश आगे बढ़ सकता है. इस देश में बंटवारे की साजिश रचने वालों से हम सभी को सावधान रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि तमाम विरोध के बावजूद सीएए जैसा काला कानून केंद्र सरकार ने लागू कर दिया, इसका पुरजोर विरोध हो रहा है. सरकार जब तक इस कानून को वापस नहीं लेती है विरोध का स्वर तेज होता रहेगा.

वहीं अन्य वक्ताओं ने कहा कि नागरिकता को लेकर विरोध संविधान बचाने की लड़ाई है. मौजूदा सरकार नागरिकता संशोधन कानून लाकर संविधान में प्रदत अधिकारों को खत्म कर रही है. हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है, जिसमें सभी धर्मों को समान अधिकार है. वक्ताओं नें कहा कि देश मे बेरोजगारी चरम पर है, अर्थव्यवस्था की हालात खस्ता है. भूखमरी, कुपोषण, महिला उत्पीड़न समेत कई समस्याएं विकराल रूप धारण कर चुकी है और केंद्र सरकार अपनी गलत नीतियों को छुपाने के लिए नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और एनआरसी लाकर अंग्रेजी हुकूमत के रास्ते पर चल रही है.

सरकार एक समुदाय विशेष को नागरिकता कानून के जरिये बाहर कर केवल सत्ता में बना रहना चाहती है. धरना को रामधन यादव, मो. अबु कैशर, सविता सिंह, चरणजीत सिंह, प्रेम पांडेय, हाफिज सरफराज अहमद, उदय द्विवेदी, घनश्याम तुरी, चूरन खान, डॉ. जावेद, मो. शाहनवाज राजा, दामोदर यादव, मो. अली समेत कई लोगों ने संबोधित किया.

क्रांतिकारी गीत, नज्म व संविधान की प्रस्तावना पढ़ी

धरना की शुरुआत में छोटी बच्चियों ने जन गण मण गाया तो इसके बाद संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया. इसके बाद कलाकारों ने क्रांतिकारी नज्म पढ़ा. रांची से पहुंचे अनिल अंशुमन ने भी क्रांतिकारी व जनगीत पेश किया. यही नहीं वक्ताओं ने संबोधन के दौरान दिल्ली के शाहीन बाद में हो रहे धरना का जिक्र करते हुए उसे मिसाल बताया और विरोध का स्वर बुलंद करने की अपील की. धरना स्थल पर क्रांति व मनुवादी सोच व अन्य चीजों से आजादी की बातें होती रही.

एक से बढ़कर एक स्लोगन से पटा धरना स्थल

धरना स्थल एक से बढ़कर एक देशभक्ति आधारित स्लोगन से पटा नजर आया. यही नहीं धरना को लेकर बने पंडाल को तिरंगे के थीम पर तैयार किया गया है. धरना में शामिल होने पहुंची महिलाएं व बच्चों के हाथों में भी स्लोगन, नारे लिखी तख्तियां दिखीं. इसमें मुख्य रूप से नफरत बुरी है न पालो इसे, दिलों में खालिश है निकालो इसे, न मेरा न तेरा न इसका न उसका ये सबका वतन है संभालो इसे के अलावा भारत माता के चार सिपाही हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सीएए नहीं हमें संविधान की हिफाजत चाहिए, साझी शहादत, साझी विरासत, साझी नागरिकता नो एनआरसी आदि प्रमुख हैं. महिलाओं का ग्रुप बच्चों के साथ तिरंगा लिए हुए धरना स्थल पर पहुंचा.

एसडीओ विजय वर्मा ने बताया कि सामाजिक एकता मंच को असनाबाद में मात्र दो दिन तक धरना देने की अनुमति दी गयी है. अनिश्चितकालीन धरना को लेकर प्रशासन ने किसी अन्य संगठन को अनुमति नहीं दी है. दो दिन के धरना को लेकर भी नियम शर्तों का पालन करना अनिवार्य है. प्रशासन पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है.

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