हर साल 12 करोड़ के कोयले की चोरी

– विकाश – कोडरमा : कहा जाता है जब कानून बनानेवाले (नेता) व उसका पालन करवाने वाले (प्रशासनिक अधिकारी) दोनों मिल जायें, तो कुछ भी हो सकता है. कानून के हाथ चोरों के गिरेबां तक पहुंच ही जाते हैं, लेकिन जब चोरी में ही पुलिस की मिलीभगत हो तो इसे कौन पकड़े. खनिज संपदा से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2013 3:44 AM

– विकाश

कोडरमा : कहा जाता है जब कानून बनानेवाले (नेता) उसका पालन करवाने वाले (प्रशासनिक अधिकारी) दोनों मिल जायें, तो कुछ भी हो सकता है. कानून के हाथ चोरों के गिरेबां तक पहुंच ही जाते हैं, लेकिन जब चोरी में ही पुलिस की मिलीभगत हो तो इसे कौन पकड़े.

खनिज संपदा से भरपूर झारखंड राज्य को भरपूर राजस्व दिलाने वाले ब्लैक डायमंड यानी कोयला चोरी का गोरखधंधा कोडरमा में फलफूल रहा है. इस धंधे में रेल पुलिस बल रेल अधिकारी भी शामिल हैं. हर साल यहां करीब 12 करोड़ के कोयले की चोरी हो रही है. हालांकि, अधिकारी इस बात से साफ इनकार करते हैं.

एजेंट वसूलता है पैसा : गझंडी रेलवे स्टेशन पर पैसे की वसूली के लिए एजेंट तैनात रहते हैं. यही एजेंट कोयला ले जाने वाले लोगों से पैसा वसूलता है. इसको लेकर कई बार झड़प भी होती है, पर स्टेशन परिसर में ही दूसरी जगहों पर बैठे कर्मियों का साथ होने के कारण बात आगे नहीं बढ़ती. बाद में उक्त एजेंट अपना कमीशन काट कर कर्मियों को पैसा सौंप देता है.

पहले मिल जाती है सूचना कि रैक जा रहा है : कोयला माफियाओं की पकड़ रेलवे पर पूरी तरह दिखती है. धनबाद के इलाकों से निकलने वाले कोयला रैक की सूचना इन्हें पहले मिल जाती है. इसके बाद गझंडी रेलवे स्टेशन से पहले कोई ट्रेन को निकाल कर कोयला रैक को गझंडी की लूप लाइन में लगवा दिया जाता है. इसके बाद कोयले की डंपिंग करवायी जाती है.

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