कोडरमा : प्रेमी प्रियभांशु बरी, निरुपमा पाठक की मौत का मामला
नहीं मिले आत्महत्या के लिए उकसाने के साक्ष्य कोडरमा : अदालत ने तिलैया निवासी पत्रकार निरुपमा पाठक की संदिग्ध मौत के मामले में पांच वर्ष बाद सोमवार को उसके प्रेमी मित्र प्रियभांशु रंजन को आरोप से बरी कर दिया. एडीजे प्रथम अरुण कुमार सिंह की अदालत ने कहा कि प्रियभांशु के खिलाफ निरुपमा को आत्महत्या […]
नहीं मिले आत्महत्या के लिए उकसाने के साक्ष्य
कोडरमा : अदालत ने तिलैया निवासी पत्रकार निरुपमा पाठक की संदिग्ध मौत के मामले में पांच वर्ष बाद सोमवार को उसके प्रेमी मित्र प्रियभांशु रंजन को आरोप से बरी कर दिया. एडीजे प्रथम अरुण कुमार सिंह की अदालत ने कहा कि प्रियभांशु के खिलाफ निरुपमा को आत्महत्या के लिए उकसाने के साक्ष्य नहीं मिले हैं.
मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 17 गवाहों को पेश किया गया. 29 अप्रैल 2010 को तिलैया स्थित आवास से निरुपमा पाठक का शव पंखे से लटकता हुआ पाया गया था.
वह दिल्ली में बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार में बतौर सब एडिटर कार्यरत थी. उस वक्त प्रेमी प्रियभांशु रंजन पर निरुपमा को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था. पुलिस ने पहले यूडी केस दर्ज किया था.
बाद में सदर अस्पताल के डॉक्टरों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला या नाक दबा कर मारने की पुष्टि होने से मामले ने तूल पकड़ लिया था. इसके खिलाफ परिजन एम्स चले गये थे.
दूसरी ओर तिलैया थाना में उस समय पदस्थापित एएसआइ साधु चरण बिरुली के बयान पर कांड संख्या 171/10 दर्ज किया गया था. दर्ज मामले में निरुपमा की मां सुधा पाठक, पिता धर्मेद्र पाठक व भाई समरेंद्र पाठक को आरोपी बनाया गया था. बाद में पुलिस ने अनुसंधान के क्रम में प्रेमी प्रियभांशु रंजन को आरोपी बनाते हुए अदालत में चाजर्शीट दाखिल की थी.
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था
हालांकि इस मामले में निरूपमा की मां पहले जेल जा चुकी है. बाद में सिर्फ प्रियभांशु के खिलाफ मामले की सुनवाई हुई. उस समय केस में अपना नाम जोड़े जाने पर प्रियभांशु के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाइकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो शीर्ष अदालत ने छह माह के अंदर निचली अदालत को मामले की सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था.