सहयोग समिति बना करें मछली पालन : डॉ साहा
सहयोग समिति बना करें मछली पालन : डाॅ साहा 10कोडपी11,12प्रशिक्षण में मैथन के कार्यपालक अभियंता डा. एनसी साहा व उपस्थित प्रशिक्षणार्थी.मत्स्य पालन का प्रशिक्षण दूसरे दिन भी जारीप्रतिनिधि, जयनगर डीवीसी भूमि संरक्षण विभाग जलीय संसाधन मैथन व एसआइपी केटीपीपी द्वारा एडमिन बिल्डिंग में बुधवार को मछली पालन का प्रशिक्षण दिया गया़ जलीय संसाधन मैथन के […]
सहयोग समिति बना करें मछली पालन : डाॅ साहा 10कोडपी11,12प्रशिक्षण में मैथन के कार्यपालक अभियंता डा. एनसी साहा व उपस्थित प्रशिक्षणार्थी.मत्स्य पालन का प्रशिक्षण दूसरे दिन भी जारीप्रतिनिधि, जयनगर डीवीसी भूमि संरक्षण विभाग जलीय संसाधन मैथन व एसआइपी केटीपीपी द्वारा एडमिन बिल्डिंग में बुधवार को मछली पालन का प्रशिक्षण दिया गया़ जलीय संसाधन मैथन के कार्यपालक अभियंता डाॅ एनसी साहा ने कहा कि मत्स्य सहयोग समिति बना कर मछली पालन का व्यवसाय करें. इससे फायदा होगा. प्रशिक्षण के दूसरे दिन डॉ साहा ने मछली पालन से संबंधित योजनाओं व कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी. हजारीबाग के सेवानिवृत्त मत्स्य पदाधिकारी मंगल प्रसाद व अर्णव घोष ने प्रशिक्षण दिया. वहीं एसआइपी की परियोजना पदाधिकारी कांता सोरेन ने मछली पालन सहित एसआइपी की अन्य योजनाओं की जानकारी दी. मौके पर विशेष सहायक बोधी पंडित, उपेंद्र कुमार, दामोदर यादव, अर्जुन चौधरी, रामदेव यादव, रूप लाल यादव, सुभाष यादव, दिनेश यादव, हदिस अंसारी, अनवर अंसारी, राजेंद्र यादव, अजय शर्मा, सफिक अंसारी आदि थे.कैसे करें मछलियों का रख रखावप्रशिक्षकों ने तालाब व मछलियों के रख-रखाव, उसमें होनेवाले रोग तथा निदान के उपाय बताये. उन्होंने कहा कि तालाब के चारों ओर का क्षेत्र व किनारा हमेशा साफ सुथरा होना चाहिए. मछलियों के स्वास्थ्य की जांच समय-समय पर नियमित रूप से करें. अगर बीमार मछली मरने लगे तो उसे तुरंत तालाब से बाहर कर गड्ढे में ब्लीचिंग पाउडर के साथ ढंक दें. समय-समय पर चूना का प्रयोग करें. रोग व निदानसिफैक्स औषधि मछलियों के एपीजुटिक असरेटिव सिंड्रोम की रोकथाम में काम आता है. असरेटिव रोग से पीड़ित मछलियों को हल्दी व चूना से भी ठीक किया जा सकता है. इसके लिए एक मिलीग्राम हल्दी व दस मिली ग्राम चूना का प्रयोग किया जाता है. एक हेक्टेयर मीटर के लिए सौ किलोग्राम चूने के घोल में दस किलोग्राम पिसी हल्दी मिला कर समान रूप से तालाब में छिड़काव करें. दस से पंद्रह दिनों में मछलियां रोग मुक्त हो जायेंगी़