बैंक में उमड़ी सीनियर सिटीजन की भीड़

राशि के अभाव में कई लोग लौटे, निराश हुए झुमरीतिलैया : बैंकों में नोट बदलने के लिए शनिवार को विभिन्न शाखाओं में सीनियर सिटीजन की भीड़ उमड़ी. लोग पूरी आशा के साथ बैंक पहुंचे. मगर इनमे से कई लोगों को राशि के अभाव में घंटों लाइन में रहने के बाद वापस लौटना पड़ा. लाइन में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2016 8:48 AM
राशि के अभाव में कई लोग लौटे, निराश हुए
झुमरीतिलैया : बैंकों में नोट बदलने के लिए शनिवार को विभिन्न शाखाओं में सीनियर सिटीजन की भीड़ उमड़ी. लोग पूरी आशा के साथ बैंक पहुंचे. मगर इनमे से कई लोगों को राशि के अभाव में घंटों लाइन में रहने के बाद वापस लौटना पड़ा.
लाइन में लगे कई सीनियर सिटीजन ने बैंक प्रबंधन पर मुंह देख कर काम करने का आरोप लगाया. इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कतार में लगे एसबीआइ के खाताधारक संघर्षशील कर्मचारी संगठन मोरचा के जिलाध्यक्ष रामानुज सिंह ने बताया कि सरकार का फैसला सही है, पर बैंक कर्मियों द्वारा सीनियर सिटीजन के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. बैंककर्मी अपने जान पहचानवाले खाता धारको को बैंक के अंदर करवा रहे हैं, जबकि दर्जनों लोग घंटो से बैंक के बाहर गेट पर अपना नंबर आने के इंतजार में खड़े हैं. मोरचा के सचिव रुपेश कुमार सिन्हा ने कहा कि बैंक में व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है. जमा व निकासी के लिए अलग-अलग काउंटर होना चाहिए. एक ही काउंटर पर दोनों काम होने से आम जनता व बैंक कर्मियों को भी परेशानी हो रही है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि खुदरा पैसा नहीं दिया जा रहा. सिर्फ दो हजार का नोट दिया जा रहा है जिससे लोगों को रोजमर्रा के सामान की खरीदारी में परेशानी हो रही है. वहीं कृष्णा देवी ने कहा कि सरकार का यह फैसला सही पर बैंको की व्यवस्था खराब है.
यहां सीनियर कतार में खड़े रहते हैं और नौजवानों को बैंक के अंदर बुला लिया जाता है. कतार में खड़े बुजुर्गों के लिए बैठने अथवा पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है. सुधा प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह फैसला सही है. इससे कालाधन पर रोक लगेगा. रामचंद्र रजक ने कहा कि सरकार का यह फैसला जनहित में अच्छा है. बैंक की व्यवस्था भी अच्छी है. लोग कतार में लगकर अपना पैसा बदल सकते है. व्यवसायी मनजीत सिंह ने कहा कि सरकार की नीति सही है पर बैंक कर्मियों का रवैया सही नहीं है. उन्होंने कहा कि खुदरा की दिक्कत ग्रामीणों को हो रही है जो दो हजार का नोट लेकर शहर में खरीदारी के लिए भटक रहे है.
उन्होंने कहा कि जबतक पांच सौ का नोट बाजार में नहीं आता तबतक बाजार की रौनक नहीं लौटेगी. रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्रो. कमलेश कुमार कमल ने कहा कि सरकार की नीति सही है. लोगों की समस्या में सुधार धीरे धीरे हो रहा है. पर बैंको की व्यवस्था लचर रहने के कारण अफरा तफरी मची रहती है. आज की जिम्मेवारी एनजीओ अथवा सामाजिक संस्था को देना चाहिए था.
सेवानिवृत्त शिक्षक दामोदर पांडेय ने कहा कि कम से कम आज के दिन बैंको में वरिष्ठ नागरिको के लिए अलग कांउटर की व्यवस्था होती, तो शायद यह परेशानी नहीं होती. सेवानिवृत्त सहकारिता प्रसार पदाधिकारी भरत यादव ने कहा कि सरकार की नीति सही पर बैंक में वरिष्ठ नागरिकों को अलग से सुविधा नहीं दी जा रही है. वे तीन बार आज में लाइन में लगे और भीड़ होने के कारण उन्हें चौथी बार भी लाइन में लगना पड़ा. हर बार अफरा तफरी होने के कारण उन्हें लाइन से बाहर होना पड़ा.

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