कलश स्थापना के साथ चैत्र नवरात्र शुरू

मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | April 9, 2024 9:41 PM

झुमरीतिलैया. चैत्र नवरात्र व हिंदू नव वर्ष मंगलवार को जिले भर में हर्ष उल्लास से शुरू हुआ. चैत्र नवरात्र के पहले दिन जिले के अधिकतर देवी मंदिरों के साथ ही कई निवास स्थलों में भी कलश स्थापना कर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना हुई. भक्तों ने मां का आह्वान किया. शहर के ताराटांड दुर्गा मंडप, देवी मंडप, मां दुर्गा कांप्लेक्स में स्थित मां दुर्गा मंदिर सहित विभिन्न देवी मंडपों में कलश स्थापित कर मां की उपासना शुरू हो गयी है, जो अगले नौ दिनों तक जारी रहेगा. इन नौ दिनों में मां भवानी के नौ स्वरूपों की उपासना होगी. वहीं 10वें दिन व्रत का पारण एवं हवन होगा. चैत्र नवरात्र को लेकर विभिन्न स्थलों पर कलश स्थापना को लेकर हो रहे वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा शहर पवित्र हो रहा है. कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा में भक्त लीन हो गये हैं. अहले सुबह से ही शहर के विभिन्न देवी मंडपो में चंडी पाठ की गूंज सुनाई पड़ने लगी, तो मंदिरों में भी पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ अहले सुबह से ही दिखी. इधर, ताराटांड़ दुर्गा मंडप में पंडित बीरमनी पांडेय व गौतम पांडेय ने विधि विधान के साथ कलश स्थापना करायी. इसके उपरांत मां शैलपुत्री की आराधना शुरू हुई. यहां राजय वर्मा व इनकी पत्नी सुषमा वर्मा कलश स्थापना में यजमान के रूप में बैठे हैं. पंडित श्री पांडेय ने बताया कि जगत जननी मां जगदंबा के प्रथम स्वरूपा मां शैलपुत्री सौभाग्य की देवी हैं. इनकी उपासना मात्र से घर परिवार में सुख, समृद्धि का वास होता है. मां के इस रूप की पूजा से जीवन में स्थिरता आती है. माता शैलपुत्री की विधिवत आराधना से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और घर में खुशहाली आती है. नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा से चंद्रमा से जुड़े सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. ज्ञात हो कि इस वर्ष महाअष्टमी 16 अप्रैल को है. भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव श्री रामनवमी 17 अप्रैल को है, जबकि मां भवानी का प्रस्थान 18 अप्रैल को दशमी तिथि को होगा. आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. अपने इस स्वरूप में मां भगवती अत्यंत शांत तथा मनोहर मुख मुद्रा वाली हैं. उनके दर्शन मात्र से व्यक्ति को परम शांति का अनुभव होता है. ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा गौतम पांडेय के अनुसार, मां भगवती के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करने के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ धुले हुए वस्त्र पहनें तथा देवी के सामने एक आसन पर बैठ कर फूल, अक्षत, दीपक, धूप आदि से उनकी पूजा करें. इसके बाद प्रसाद चढ़ायें और मंत्र बोलते हुए उनका आह्वान करें. इसके बाद देवी को प्रसाद अर्पण करें तथा उनसे जाने-अनजाने में हुई अपने भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करते हुए उनसे अपने कष्टों को हरने की प्रार्थना करें.

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