मुझे खुशी है कि तीरंदाजी का क्रेज बढ़ रहा है. खास कर झारखंड के कुछ जिलों में बच्चे इस खेल के प्रति रुचि दिखा रहे हैं, पर इस बात का मलाल है कि राज्य हो या केंद्र सरकार, इस खेल के प्रति उतना ध्यान नहीं दे रही है, जितना देना चाहिए. मेरे अलावा कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो सरकार की उपेक्षा के शिकार हैं. आगे ऐसा किसी के साथ न हो, इसके लिए पहल करने की जरूरत है.
उक्त बातें राष्ट्रीय तीरंदाज रही लोहरदगा की दीप्ति कुमारी ने बुधवार को यहां कहीं. प्रभात खबर से विशेष बातचीत में दीप्ति ने कहा कि राज्य के सरायकेला, जमशेदपुर व रांची के अलावा अन्य जिलों में भी अब तीरंदाजी को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. बच्चे इसमें रुचि ले रहे हैं. इस दिशा में आगे बढ़ते हुए विकास कुमार, वर्षा कुमारी, मोनिका कुमारी व अन्य नेशनल लेवल तक पहुंचे हैं.
दीप्ति ने बताया कि तीरंदाजी को लेकर जुनून ऐसा है कि कुछ जगहों पर बच्चे बांस का धनुष बना खुद प्रैक्टिस करते हैं. दीप्ति अब कोडरमा में तीरंदाजी को लेकर प्रशिक्षण देंगी. इसके लिए ग्रिजली ग्रुप ने उनसे संपर्क किया है. इसी उद्देश्य से बुधवार को दीप्ति झुमरीतिलैया पहुंची. वह कुछ ही दिनों में ग्रिजली विद्यालय तिलैया डैम में बच्चों को तीरंदाजी का प्रशिक्षण देंगी. इसको लेकर तैयारी की जा रही है.
दीप्ति ने बताया कि वह मूल रूप से लोहरदगा की रहनेवाली है. वर्तमान में रांची में रहती है. पिता बजरंग प्रजापति किसान हैं, जबकि मां सीता देवी गृहिणी है़. दीप्ति के चार बहन व एक भाई है. दीप्ति ने बताया कि बचपन से ही तीरंदाजी का शौक था. वर्ष 2012 में उनके साथ जो हुआ, उससे सपना ही टूट गया.
वह कैडेट वर्ल्ड कप खेलने के लिए विदेश जा रही थीं, पर कोलकाता साइ में उनका धनुष टूट गया. ऐसे में कोलकाता से ही बैरंग लौटना पड़ा. बैंक से ऋण लेकर खरीदा गया धनुष टूटा, तो इसके बाद आगे नहींं बढ़ पायी. ऋण चुकाना चुनौती बन गयी. बडे भाई ऑटो चलाते हैं, जबकि एक भाई विकास तीरंदाजी में नेशनल खेल रहा है.