धनकटनी के साथ गेहूं की खेती की तैयारी में जुटे किसान

रबी फसलों में गेहूं का प्रमुख स्थान है़ धनकटनी के साथ-साथ किसानों ने गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर दी है़ कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर कोडरमा के एग्रोफॉरेस्टी ऑफिसर रूपेश रंजन ने बताया कि गेहूं की खेती के लिए किसान मिट्टी को भुरभुरा करें, फिर जुताई करें और पाटा लगाये़ पर्याप्त नमी में बुआई करें.

By Prabhat Khabar News Desk | November 28, 2024 8:13 PM

जयनगर. रबी फसलों में गेहूं का प्रमुख स्थान है़ धनकटनी के साथ-साथ किसानों ने गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर दी है़ कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर कोडरमा के एग्रोफॉरेस्टी ऑफिसर रूपेश रंजन ने बताया कि गेहूं की खेती के लिए किसान मिट्टी को भुरभुरा करें, फिर जुताई करें और पाटा लगाये़ पर्याप्त नमी में बुआई करें. पहली सिंचाई बुआई से 20-25 दिन बाद, दूसरी सिंचाई 40-50 दिन बाद, तीसरी सिंचाई 60-65 दिन बाद और चौथी सिंचाई 80-85 दिन बाद करें.फसल लगाने से पहले बेहतर खेत प्रबंधन कर खेतों को तैयार करे़ अधिक पैदावार के लिए बीजों के नवीनतम प्रजाति का चयन करे़ मिट्टी की जांच के बाद उर्वरकों की मात्रा का निर्धारण कर उपयोग करें. भूमि में सूक्ष्म तत्वों की जानकारी प्राप्त करने के बाद आवश्यकता अनुसार जिंक अथवा मैगजीन का प्रयोग करें. उचित समय पर सिंचाई करें. फसल को बीमारी व कीट पतंगों से फसलों को बचाये़ श्री कुमार ने बताया कि बुआई के एक माह बाद यदि खरपतवार दिखाई दे, तो निकाई-गुड़ाई करे़ं यदि फलेरिस माइनर तथा उगंली जई अधिक मात्रा में मौजूद है, तब आईसोप्रोटराम का 300 ग्राम सक्रिय तत्व का 280 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ भूमि में 30-35 दिन बाद पानी का छिड़काव करें. चौड़ी पत्ती खरपतवार नियंत्रण के लिए 2-फोर डी नामक रसायन का 160 ग्राम प्रति एकड़ में छिड़काव कें. उन्होंने बताया कि फसल में लगने वाली रतुआ बीमारी से बचाव के लिए गेहूं की न्यूनतम किस्म की प्रयोग करें. कंदवा रोग से बचाव के लिए वीटा व्यस्क व बेनीस्टीन नामक दवा की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किलो ग्राम बीज की दर से प्रयोग करें. बुआई के समय कतार से कतार की दूरी 20-22 सेंटीमीटर रखे. देर से बुआई कर रहे है तो यह दूरी 15 सेंटीमीटर की रखे़ं

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