झुमरीतिलैया. श्री दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे विश्व शांति सिद्धचक्र महामंडल विधान के तहत शनिवार को भक्ति भाव से पूजा विधान हुआ. सुबह में भगवान की प्रतिमा का मंगल विहार अभिषेक व शांति धारा का सौभाग्य समाजसेवी अजित गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ़ श्रद्धालुओं ने भगवान की प्रतिमा पर अभिषेक कर पुण्य प्राप्त किया़ विधान की पूजा स्थानीय पंडित अभिषेक शास्त्री ने करायी़ विधान में विराजमान 1008 श्री सिद्ध परमेष्टि और 1008 श्री आदिनाथ भगवान के चरणों में विशेष अर्घ और श्रीफल चढ़ाने का सौभाग्य सौ धर्म इंद्र सुरेश नरेंद्र झांझरी, ललित-नीलम सेठी, सुरेंद्र-सरिता काला, संजय-बबीता गंगवाल, जय कुमार त्रिशला गंगवाल, शांति लाल-राजेश देवी छाबड़ा, कमल-कुसुम गंगवाल, सुनील ममता सेठी आदि भक्तों को मिला़ सभी ने भगवान की प्रतिमा पर 128 अर्घ चढ़ाया़ मौके पर मुनि श्री 108 सुयश सागर जी महाराज ने कहा कि जिनका भाग्य होता है, वह व्यक्ति ही धर्म कर सकता है और यज्ञ विधान का पात्र बन सकता है़ इस विधान में सिद्धों की आराधना होती है, सिद्ध की आराधना करने से कई ऋषि महात्मा को मंत्रों की सिद्धि प्राप्त हो जाती है, परंतु जैन संत सिद्धि का कभी उपयोग नही करते हैं. मुनि श्री ने कहा कि यह मनुष्य जीवन 84 लाख योनियों में भटकने के बाद बहुत ही उत्कृष्ट कार्य करने पर मिला है़ कीट पतंग, पशु पक्षी और जीव जंतु जैसे जीव भाग्यवान नहीं होते हैं, क्योंकि उनके पास विवेक नहीं है. मनुष्य जीवन पाकर भी जिसने त्याग, संयम, सत्संग, सेवा, दान, परोपकार नहीं किया उसका जीवन बेकार है और अपने अगले जीवन में वह कीट पतंग पशु पक्षी बनने के लिए तैयार रहे़ं मनुष्य जीवन एक दुर्लभ जीवन है इस जीवन में आत्म कल्याण कर अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं. जैन समाज के मीडिया प्रभारी राजकुमार अजमेरा व नवीन जैन ने बताया कि रात्रि में णमोकार चालीसा, भक्तामर पाठ के साथ 48 दीपकों से दीप अर्चना, भव्य आरती विद्या सागर जैन पाठशाला के बच्चों द्वारा किया गया़
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