कोडरमा में चरमरा सकती है स्वास्थ्य सुविधा, एक साथ नौ चिकित्सकों का तबादला के बाद गहराई आशंका
पहले से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है स्वास्थ्य विभाग, एकमात्र महिला चिकित्सक का भी हो गया है स्थानांतरण
कोडरमा : कोरोना की संभावित तीसरी लहर के बीच जिले से एक साथ नौ सरकारी डॉक्टरों का स्थानांतरण हो जाने से जिले में स्वास्थ्य सुविधा चरमरा जाने की आशंका है. वर्षों से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे स्वास्थ्य विभाग की परेशानी अब और बढ़ सकती है. वहीं आम लोगों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है.
खास कर सदर अस्पताल में इसका व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना है. जानकारी के अनुसार, कोडरमा घाटी में आये दिन सड़क दुर्घटना होती रहती है. घाटी से सदर अस्पताल की दूरी कम होने से इलाज के लिए घायलों को सदर में ही लाया जाता है. वहीं सदर अस्पताल के ओपीडी के आंकड़ों पर गौर करें, तो प्रतिदिन यहां औसतन 400-500 मरीजों का इलाज के अलावा प्रसव कार्य आदि के लिए मरीजों की भीड़ लगी रहती है.
गत शनिवार को हुए डॉक्टरों के तबादले में जिले से नौ डॉक्टरों का स्थानांतरण दूसरे जिले में हुआ है. इसमें सदर अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ रंजन कुमार के अलावा चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आशीष कुमार, डॉ आरपी शर्मा, डॉ मीता सिन्हा के नाम शामिल हैं. वहीं सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चंद्रमोहन का स्थानांतरण भी दूसरे जिले में हो गया है.
इसके विरुद्ध सदर अस्पताल को मात्र दो नये चिकित्सक मिले हैं, जबकि अकेले सदर अस्पताल में डॉक्टरों का स्वीकृत पद 30 है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि मात्र सात डॉक्टरों के सहारे सदर अस्पताल में मरीजों का इलाज कैसे संभव होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि सदर अस्पताल में एक मात्र महिला चिकित्सक डॉ मीता सिन्हा थी. इनका स्थानांतरण हो जाने से महिला ओपीडी प्रभावित होने की संभावना है.