सीएम हेमंत सोरेन पांच दिसंबर को कोडरमा में, ढिबरा मजदूर भी मिलने की आस में
पिछले 11 महीने से ढिबरा मजदूर पूरी तरह से बेरोजगार हो गये हैं. कोडरमा और गिरिडीह में बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. इनके पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है.
रांची : आपकी सरकार, आपके द्वारा अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पांच दिसंबर को कोडरमा जायेंगे. गौरतलब है कि जनवरी माह में आपकी सरकार आपके द्वारा अभियान के दूसरे चरण के दौरान सीएम ने कोडरमा जिले से ढिबरा के लिए वैध व्यापार की शुरुआत की थी. पर यह काम आज तक शुरू नहीं हो सका. ढिबरा मजदूरों की जिला स्तरीय सहकारी समिति औद्योगिक स्वावलंबी को-ऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि मजदूर इस बार भी सीएम से मिलेंगे. उन्होंने कहा कि अबरख क्षेत्र कोडरमा जिले के लाखों ढिबरा मजदूरों और उद्यमियों के मन में यही प्रश्न है कि क्या मुख्यमंत्री इस दौरे में अभ्रक उद्योग को पुनर्जीवित करने के अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने की सौगात दें पायेंगे?
उन्होंने बताया कि पिछले 50 वर्षों में राज्य सरकार को ढिबरा के रूप में अबरख के व्यापार से एक पैसा भी राजस्व नहीं मिला है. चूंकि उत्पादित अबरख का 90 प्रतिशत विदेश जाता है, इसलिए केंद्र सरकार को निर्यात शुल्क के रूप में राजस्व मिल रहा है, पर राज्य सरकार को कुछ भी नहीं मिलता. श्री वर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा ढिबरा के वैध कारोबार की नियमावली बनाये जाने के बावजूद जेएसएमडीसी द्वारा आजतक ढिबरा की खरीद-बिक्री का काम शुरू नहीं किया जा सका है. पिछले 11 महीने से ढिबरा मजदूर पूरी तरह से बेरोजगार हो गये हैं. कोडरमा और गिरिडीह में बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. इनके पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है. आजतक परमाणु ऊर्जा विभाग से अनुमति नहीं मिल पायी है. स्थिति यह है कि रोजगार के अभाव में सहकारी समिति के सैकड़ों सदस्य दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर गए हैं. कोडरमा और गिरिडीह के दर्जनों अबरख उद्यमी अपने प्लांट राजस्थान ले गये हैं. श्री वर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा ढिबरा के वैध कारोबार की नियमावली बनाये जाने के बावजूद जेएसएमडीसी द्वारा आजतक ढिबरा की खरीद-बिक्री का काम शुरू नहीं किया जा सका है.
पिछले 11 महीने से ढिबरा मजदूर पूरी तरह से बेरोजगार हो गये हैं. कोडरमा और गिरिडीह में बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. इनके पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है. आजतक परमाणु ऊर्जा विभाग से अनुमति नहीं मिल पायी है. स्थिति यह है कि रोजगार के अभाव में सहकारी समिति के सैकड़ों सदस्य दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर गये हैं. कोडरमा और गिरिडीह के दर्जनों अबरख उद्यमी अपने प्लांट राजस्थान ले गये हैं.