मेहनत बना हथियार, होमगार्ड की बेटी बनेगी वैज्ञानिक

बचपन से मेघावी रही है विद्या कुमारी

By Prabhat Khabar News Desk | May 8, 2024 8:13 PM

गौतम राणा, कोडरमा बाजार. सपने वे नहीं होते, जो रात में देखे जाते हैं, सपने वे होते हैं, जो हमें सोने नही देता़ स्वामी विवेकानंद द्वारा कहा गया यह वाक्य जिला मुख्यालय स्थित आदर्श मोहल्ला (गिरिडीह रोड ) निवासी होमगार्ड वृंदा देवी की पुत्री विद्या कुमारी पर सटीक बैठता है़ बचपन से मेघावी रही विद्या कुमारी ने सीएसआइआर नेट जेआरएफ में सफलता के बाद भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुबई में कनिष्ठ अनुसंधान अध्येता जूनियर रिसर्च फेलो के रूप में अपनी जगह बनायी है़ सात मई को विद्या ने बीएआरसी में पीएचडी स्कॉलर के पद पर योगदान दिया है़ बताते चलें कि बीएआरसी (भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ) राष्ट्र का एक प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान है़ प्रभात खबर से बातचीत के क्रम में विद्या ने बताया कि जब वह महज चार वर्ष की थी, उसी समय उनके पिता नकुल राणा का आकस्मिक निधन हो गया़ पिता के निधन के बाद मां को मुझे और दोनों भाइयों के पालन पोषण में काफी संघर्ष करना पड़ा़ गृहरक्षक की ड्यूटी कर किसी तरह से हम तीनों भाई बहन को उच्च शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी़ विद्या बताती है कि मैंने अपनी मां से बिना थके निरंतर मेहनत करना सीखा़ आज जो कुछ भी हूं, उसमें मेरी मां के त्याग, बलिदान और संघर्ष की दास्तां छिपी है़ विद्या की मां वृंदा देवी ने बताया कि पति के देहांत के बाद वह पूरी तरह टूट गयी थी, लेकिन मासूम बच्चों के भविष्य को देखते हुए खुद को मजबूत किया और मन मे दृढ़ संकल्प लेकर बच्चों का परवरिश किया़ होमगार्ड की नौकरी में हमेशा ड्यूटी तो मिलती नहीं है, ऐसे में बच्चों की शुरुआती शिक्षा दीक्षा आदर्श मध्य विद्यालय से हुई. ईश्वर की कृपा से विद्या की सफलता देख मुस्कुराने का मौका मिला है़ विद्या ने बताया कि मेरी इस सफलता में आदर्श मध्य विधालय के संजीत सर, मंटू सर, गीता मैडम और परियोजना बालिका उच्च विद्यालय के नवल किशोर सर की अहम भूमिका है़ इन्होंने शुरुआती शिक्षा के दौरान मुझे आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया़ बाद में रांची विश्विद्यालय में डॉ बीके सिन्हा और डॉ आनंद का बेहतर मार्गदर्शन मिला़ इस कारण आज मुझे भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर तक पहुंचने का अवसर मिला़ विद्या ने बताया कि उसका सपना साइंटिस्ट बन कर कैंसर सेल एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी पर शोध कर इस बीमारी से ग्रसित लोगों को स्वस्थ करने में अपना योगदान देने का है़ उसने बताया कि फिलहाल उसे संस्थान द्वारा बतौर प्रोत्साहन राशि प्रतिमाह 37 हजार रुपये मिलेंगे.

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