कोडरमा के इस पंचायत में सड़क का हाल खास्ता, सड़क बंद, गर्भवती को खटिया पर लिटा कर चले दो किलोमीटर पैदल

दो किमी चलने के बाद सही रास्ता मिला, तो वहां से वाहन से निजी अस्पताल लेकर पहुंंचे, तब जाकर महिला का प्रसव हो पाया. अगर समय रहते परिजन नहीं पहुंच पाते, तो कोई भी अनहोनी हो सकती थी. सड़क को लेकर असुविधा होने के मामले में लोग वन विभाग को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं. लोगों के अनुसार, विभाग द्वारा ट्रेंच काटा गया है, जिस वजह से कच्ची सड़क से आवागमन बंद हो गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 12, 2021 2:06 PM

कोडरमा : मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे प्रखंड की मसनोडीह पंचायत के सखुआटांड़ (सपहा) के लोग इन दिनों दोहरी परेशानी का सामना कर रहे हैं. अपने गांव तक आने-जाने के लिए अच्छी सड़क तक नसीब नहीं है. स्थिति यह है कि गुरुवार की रात एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों को दो किमी तक महिला को खटिया पर लिटा कर पैदल चलना पड़ा.

दो किमी चलने के बाद सही रास्ता मिला, तो वहां से वाहन से निजी अस्पताल लेकर पहुंंचे, तब जाकर महिला का प्रसव हो पाया. अगर समय रहते परिजन नहीं पहुंच पाते, तो कोई भी अनहोनी हो सकती थी. सड़क को लेकर असुविधा होने के मामले में लोग वन विभाग को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं. लोगों के अनुसार, विभाग द्वारा ट्रेंच काटा गया है, जिस वजह से कच्ची सड़क से आवागमन बंद हो गया है.

गुहार लगाने के बाद भी सुविधा नहीं : जानकारी के अनुसार, कुछ वर्ष पूर्व सखुआटांड़ में आदिवासी परिवार के लोग आकर बसे हैं. यहां के लोगों को अब तक मूलभूत सुविधाएं नसीब नहीं हैं. लोग सुविधाएं बहाल कराने को लेकर लगातार गुहार लगा रहे हैं, पर समाधान नहीं हो पा रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी सड़क को लेकर है. इसी बीच स्थानीय निवासी बिशुन मुर्मू की पत्नी सरिता देवी को प्रसव कराने की आन पड़ी, तो मुसीबत बढ़ गयी.

कोई उपाय नहीं देख महिला को सखुआटांड़ से खटिया पर लिटा कर जंगल होते हुए दो किमी पैदल चल कर बेलभरनी पहुंचाया गया. खटिया को विजय हेंब्रम व भातू मुर्मू अपने कंधे पर संभाल कर बेलभरनी पहुंचे. यहां से एक टेंपो पर बैठ कर सभी डोमचांच स्थित एक निजी क्लिनिक में आये, जहां प्रसव कराया गया. अस्पताल में सरिता देवी ने एक पुत्री को जन्म दिया. स्थानीय ग्रामीण अनिल टुड्डू ने बताया कि वन विभाग द्वारा ट्रेंच काट दिया गया है, इस वजह से हमलोगों को आने जाने में दिक्कत हो रही है. अगर कोई बीमार हो जाता है, तो खटिया पर लिटा कर यहां से ले जाना पड़ता है.

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