जयनगर : एक ओर किसान कोरोना काल में परेशान रहे, वहीं डीजल के मूल्य में हुई वृद्धि से कृषि कार्य करने में उन्हें परेशानी हो रही है. पहले किसान अपने बड़े खेतों की ट्रैक्टर से जुताई करते थे, जबकि छोटे खेतों में हल-बैल से जुताई होती थी. किसानों ने खेती की परंपरागत तरीका हल- बैल को लगभग भुला दिया था. मगर अब डीजल के मूल्य में हुई वृद्धि के कारण खेती की परंपरागत तरीका ओर किसान लौटने लगे हैं.
मंगलवार को डीजल 95.19 रुपये प्रति लीटर रहा. इस दर पर डीजल खरीद कर खेती करना कई किसानों के बस में नहीं है. गरीब किसान, तो ट्रैक्टर से खेती करने की बात सोच भी नहीं सकते. इस पर किसानों ने अपनी अलग अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
महंगाई के इस जमाने में खेती करना कठिन हो गया है. ऊपर से डीजल के मूल्य में हुई वृद्धि ने हम किसानों की चिंता बढ़ा दी है. ट्रैक्टर से खेती करना किसान लगभग भूल गये हैं. अब हल-बैल से खेती करना शुरू करा दिया. इसमें परिश्रम अधिक है, मगर खर्च भी कम लगता है. हर किसान के पास हल-बैल उपलब्ध है. ऐसे में अहले सुबह हल-बैल लेकर खेतों की ओर निकल पड़ते हैं. कम से कम डीजल का दाम तो बचता है. सरकार को डीजल की मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण करना चाहिए.
शिवकुमार यादव, खेडोबर जयनगर
क्या करें, क्या न करें समझ में नहीं आता. डीजल सहित कृषि कार्य से जुड़े अन्य सामान के मूल्य में हुई वृद्धि के कारण हल-बैल से खेती करने को मजबूर हो गये हैं. हालांकि देश का इतिहास है कि जहां खेती की जिक्र होता है, वहां हल-बैल का भी जिक्र होता है. मगर आधुनिकता के धुन में किसानों ने हल-बैल को भुला दिया था. अब महंगाई ने एक बार फिर से हल-बैल की याद दिला दी है. ऐसे में कम से कम डीजल पर लगने वाला खर्च बचता है. इसे और किसी मद् में खर्च किया जा सकता है. सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए.
मेहीउद्वीन अंसारी, बिसोडीह
Posted by : Sameer Oraon