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कोडरमा स्वास्थ्य विभाग का दावा, सुरक्षात्मक कदम उठाये जा रहे हैं लेकिन ब्लैक फंगस के इलाज की व्यवस्था नहीं

इस बीच ब्लैक फंगस के इलाज के लिए जिले में कोई व्यवस्था है या नहीं, इसकी जानकारी लेने का प्रयास किया गया, तो पता चला कि कोडरमा में फिलहाल इसके इलाज की व्यवस्था नहीं है. इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि बीमारी से सुरक्षा व बचाव को लेकर कई कदम उठाये जा रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | May 29, 2021 2:40 PM

कोडरमा : वैश्विक महामारी कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं. खास कर कोरोना को मात देने वाले लोग इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं. जिले में भी ब्लैक फंगस का एक मामला सामने आ चुका है. हालांकि, उक्त मरीज का इलाज रांची के एक निजी अस्पताल में चल रहा है.

इस बीच ब्लैक फंगस के इलाज के लिए जिले में कोई व्यवस्था है या नहीं, इसकी जानकारी लेने का प्रयास किया गया, तो पता चला कि कोडरमा में फिलहाल इसके इलाज की व्यवस्था नहीं है. इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि बीमारी से सुरक्षा व बचाव को लेकर कई कदम उठाये जा रहे हैं.

विभागीय जानकारी के अनुसार, बीमारी की शुरुआती स्टेज पर ही पहचान को लेकर सिविल सर्जन डॉ एबी प्रसाद ने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को पत्र जारी कर कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए मरीजों पर सतत निगरानी रखने और प्रत्येक 10 दिनों में ब्लैक फंगस के लक्षणों को जांच करने का निर्देश दिया है.

सिविल सर्जन द्वारा एमओआइसी को जारी निर्देश में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए वैसे मरीज, जो हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रहे हों और जिनको डायबिटीज रहा हो या फिर जिन मरीजों पर कॉर्टिको स्टेरॉइड का इस्तेमाल हुआ हो तथा जिन मरीजों में इम्युनिटी कम हो, ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस होने की संभावना ज्यादा होती है.

ऐसे में उपरोक्त समस्याओं से ग्रसित मरीजों की सूची संबंधित सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को भेजते हुए मरीजों की सतत निगरानी करें. साथ ही प्रत्येक 10 दिनों में ब्लैक फंगस से संबंधित लक्षण आंख के आसपास सूजन, दिखाई कम देना, चेहरे में सूजन, दांत में दर्द या झड़ना, चेहरे पर काला धब्बा, चेहरे पर सूनापन, नाक जाम होना या नाक से काला खून आना, खांसी के बलगम में खून आना या सिर में दर्द आदि की जांच करने का निर्देश दिया गया है.

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