Literacy day 2020 : कोडरमा बाजार (गौतम राणा) : व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालने तथा किसी कारण से शिक्षा से वंचित लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से विगत 17 नवंबर, 1965 को यूनेस्को ने 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस (World Literacy Day) मनाने की घोषणा की थी तब से पूरे विश्व में 8 सितंबर को साक्षरता दिवस मनाया जाता है.
एक समय था जब केंद्र सरकार ने इसकी महत्ता को समझते हुए निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने के उद्देश्य से साक्षरता कार्यक्रम की शुरुआत की थी. कोडरमा जिले में भी यह कार्यक्रम कई वर्षों तक चला, मगर 31 मार्च, 2018 से यह कार्यक्रम जिले में बंद हो गया. इस वजह से इस विभाग में कार्यरत करीब 228 कर्मी फिलवक्त बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं.
साक्षरता कार्यक्रम को जिले में बढ़ावा देने के लिए जिला स्तर पर 4 पद स्वीकृत था, जिसमें डीपीएम, डीपीसी, लेखापाल, कम्प्यूटर ऑपरेटर, जबकि सभी प्रखंडों में एक-एक बीपीएम और 109 पंचायतों में एक महिला और एक पुरुष बतौर प्रेरक कार्यरत थे. लेकिन, कार्यक्रम बंद हो जाने से फिलवक्त विभाग के कर्मी बेरोजगार बैठे हैं.
इसके विपरीत विभागीय आंकड़ों की बात करें, तो जिले में कुल जनसंख्या 7,16,259 है. इसमें पुरुषों की संख्या 3,67,222, जबकि महिलाओं की संख्या 3,49,037 है. जहां तक साक्षरता की बात है, तो साक्षरता का प्रतिशत 68.35 है. यानी सौ में करीब 68 लोग साक्षर हैं. पुरुष साक्षरता दर की बात करें, तो जिले में साक्षर पुरुषों की संख्या 81.25 प्रतिशन, जबकि महिला साक्षरता का प्रतिशत 54 .77 है.
साक्षरता कार्यक्रम के उस समय के डीपीएम श्रवण कुमार ने बताया कि साक्षरता कार्यक्रम के तहत जिले के 15 वर्ष से ऊपर की महिला और पुरुष जो किसी कारण से शिक्षित नहीं हो पाये थे उन्हें साक्षर करने के उद्देश्य से उक्त कार्यक्रम को शुरू किया गया था. पंचायतों में कार्यरत महिला और पुरुष प्रेरक ऐसे लोगों को चिह्नित कर साक्षर बनाने का कार्य करते थे. वर्ष में 2 बार परीक्षा ली जाती थी और प्रमाणपत्र भी दिया जाता था. इसके लिए करीब 228 कर्मी कार्य कर रहे थे. यह केंद्र सरकार की योजना थी और प्रत्येक वर्ष विभाग से लक्ष्य दिया जाता था. उसी लक्ष्य के अनुरूप कार्य किया जाता था.
उन्होंने बताया कि मार्च 2018 से सरकार द्वारा साक्षरता कार्यक्रम को बंद कर दिया गया, जबकि लक्ष्य अधूरा है. हालांकि, विभाग द्वारा पूछे जाने पर कार्यक्रम की अवधि पूरा हो जाने का हवाला दिया गया, लेकिन हमलोगों से जनवरी 2019 तक काम लिया गया. अभी तक अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 तक का मानदेय नहीं दिया गया. अचानक कार्यक्रम बंद हो जाने से हमलोग बेरोजगार हो गये हैं. इसको लेकर कई बार शिक्षा मंत्री, सांसद, डीसी, सीएम समेत अन्य से गुहार भी लगायी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के दौरान 91 हजार लोगों को साक्षर बनाया गया था, जिसमें सतगांवा में 13378, जयनगर में 16149, डोमचांच में 14089, कोडरमा में 14265, मरकच्चो में 13449 एवं चंदवारा प्रखंड में 20061 लोग शामिल हैं. वर्ष 2019-20 में 1.77 लाख निरक्षरों को साक्षर बनाने का लक्ष्य था, मगर अचानक कार्यक्रम बंद हो जाने वर्तमान में इसकी क्या संख्या है यह बता नहीं सकते.
Posted By : Samir Ranjan.