छठ महापर्व मनाने अपनों के बीच लौटे प्रवासी
छठ महापर्व का उल्लास चरम पर है़ छठ केवल सूर्य उपासना का पर्व नहीं है, बल्कि परिवारों का भी संगम है.
झुमरीतिलैया. छठ महापर्व का उल्लास चरम पर है़ छठ केवल सूर्य उपासना का पर्व नहीं है, बल्कि परिवारों का भी संगम है. पूरे साल प्रवास में रहनेवाले लोग, इस खास पर्व के लिए अपने घर-परिवार के बीच लौटने का इंतजार करते हैं, इस बार भी कई लोग अपनी जिम्मेदारियों के बावजूद छठ पर्व पर अपनों से मिलने और छठी मैया की पूजा में सम्मिलित होने के लिए घर पहुंचे़ सालों भर इस पर्व का इंतजार करनेवाले प्रवासी अपने घर लौटकर इस उत्सव को और अधिक भव्य बनाते हैं. विद्यापुरी निवासी नीरज कुमार की पत्नी छाया सिंह पिछले पांच वर्षों से छठ का व्रत करती आ रही थीं, इस बार स्वास्थ्य कारणों से छठ व्रत नहीं कर रही हैं. इसी कारण इस बार नीरज कुमार ने खुद छठ का संकल्प लिया है. वे अपने ससुराल में छठी मैया की पूजा कर रहे हैं. वे मध्य प्रदेश में रक्षा मंत्रालय में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि साल भर की व्यस्तता के बावजूद वे अपने ससुराल जाकर व्रत के नियम का पालन करते हैं. ट्रेन टिकट नहीं मिलने पर वे अपने चरपहिया वाहन से लंबी यात्रा कर ससुराल पहुंचे हैं. शिवशंकर सिंह विदेश में रहते हैं, लेकिन हर साल छठ के समय अपने ससुराल में पर्व मनाने आते हैं. उनका मानना है कि यह पर्व उन्हें भारत की संस्कृति और अपने परिवार से जोड़ता है़ इस बार भी वे छठ के मौके पर अपने ससुराल में हो रहे पूजा अनुष्ठान में सम्मिलित हो रहे हैं और इस परंपरा को निभा रहे हैं. राकेश कसेरा इस वर्ष पांचवीं बार छठ व्रत कर रहे हैं. उनकी आस्था और श्रद्धा साल-दर-साल बढ़ती जा रही है़ श्री कसेरा ने बताया कि परिवार के साथ मिलकर छठ करने से उन्हें मानसिक शांति और संतोष मिलता है. वे कहते हैं कि छठी मैया का आशीर्वाद और परिवार का साथ उन्हें संपूर्ण बनाता है़ राणा संग्राम सिंह कोलकाता में रहते हैं और हर साल छठ पर्व मनाने अपने परिवार के पास आते हैं. इस वर्ष वे अपनी मां के साथ छठ कर रहे हैं, जो उनके लिए विशेष अनुभव है़ श्री सिंह का मानना है कि छठ के समय घर लौटना उनके परिवार को और मजबूती से जोड़ता है. चाहे कितनी भी दूरी हो, वे हर साल इस पर्व पर अपने परिवार के साथ रहते हैं
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