उन्नत विधि से खेती कर बढ़ा सकते हैं सरसों का उत्पादन
सरसों का रबी के तिलहनी फसल में प्रमुख स्थान होता है. इसकी खेती सीमित सिंचाई में की जाती है़ यह फसल कम समय में तैयार होती है़ जानकार बताते हैं कि सरसों में 42 से 45 प्रतिशत तक तेल होता है.
राजेश सिंह, जयनगर. सरसों का रबी के तिलहनी फसल में प्रमुख स्थान होता है. इसकी खेती सीमित सिंचाई में की जाती है़ यह फसल कम समय में तैयार होती है़ जानकार बताते हैं कि सरसों में 42 से 45 प्रतिशत तक तेल होता है. वहीं छोटे पौधे का साग के रूप में भी इस्तेमाल होता है. इसके अलावा इसकी खल्ली मवेशियों को खिलायी जाती है़ यदि उन्नत विधि से सरसों की खेती की जाये तो सरसों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है़
कैसे करें सरसों की खेती
कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर कोडरमा के एग्रोफोरेटी ऑफिसर रूपेश रंजन ने कैसे करे इसकी खेती जानकारी देते हुए बताया कि सरसों की फसल के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. अधिक या कम तापमान होने पर फसल में विकृति होने लगती है़ इसके लिए रेतीली दोमट मिट्टी व हल्क दोमट मिट्टी उपयुक्त है़ खेत की तैयारी के संबंध में उन्होंने बताया कि पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करे. प्रत्येक जुताई के पटा जरूर लगाये़ दीमक सहित अन्य कीटों की रोकथाम के लिए बुआई से पहले अंतिम जुताई के समय क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण का छिड़काव करे़ं
कौन सा बीज करें इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि इसकी उन्नत किस्मों में टी-36, पी-30, टी 28 शिवानी पूसा बोल्ड, उषा सरसों, उषा 25, पीटी 30, तापेश्वरी, भवानी, टी नाइक प्रमुख है़ बीज की मात्रा 4-5 किलोग्राम रखे़ उन्होंने बाताया कि बुआई का अंतराल पौधों से पौधों की दूरी 8-10 सेंटीमीटर तथा कतार से कतार की देरी 20 सेंटीमीटर होना चाहिए़ रोपनी के आठ-दस दिनों के बाद आठ टन गोबर की खाद व नाइट्रोन 90, फाॅस्फोरस 20 किलो, यूरिया की अधिक मात्रा और फाॅस्फोरस की पूरी मात्रा खेत में डाले़ पहली सिंचाई 30-35 दिन बाद फुल आने पर करें, दूसरी सिंचाई 70-80 दिन करे़ खरपतवार की समाप्ति के लिए बुआई के बाद दवा का छिड़काव करे़ं आरा मख्खी, हिरक तिल्ली, सफेद रौली से फसल के बचाव की जरूरत है़ इसके नियंत्रण के मैकोजैब 75 प्रतिशत 800-1000 पानी मिलाकर छिड़काव करेंडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है