श्मशान घाट में सुविधा नहीं, शवों के अंतिम संस्कार में परेशानी

न शेड है और न ही पानी की कोई व्यवस्था है़

By Prabhat Khabar News Desk | April 25, 2024 7:36 PM

राजेश सिंह : जयनगर. आजादी के 75 वर्ष के बाद भी कहीं-कहीं इतिहास के जमाने की स्थिति देखने को मिलती है़ कुछ ऐसी ही डुमरडीहा श्मशान घाट की स्थिति है़ यहां श्मशान घाट में सुविधा के नाम पर न शेड है और न ही पानी की कोई व्यवस्था है़ ऐसे में ग्रामीणों को शवों के अंतिम संस्कार में परेशानी का सामना करना पडता है. शव यात्रा में घर से पानी लेकर जाना लोगों की मजबूरी बन गयी है़ कई वर्ष पूर्व डीवीसी के केटीपीएस निर्माण के समय ग्रामीणों के आग्रह पर डीवीसी प्रबंधन ने अपनी चहारदीवारी के बाहर एक भूखंड चहारदीवारी के साथ ग्रामीणों को श्मशान घाट के नाम पर दिया था़ लेकिन सुविधाएं कुछ भी नहीं दी गयी़ इस गांव में यदि किसी की मौत हुई है, तो उसके अंतिम संस्कार के लिए जगह तो है, लेकिन पानी नहीं है और न ही शेड है़ लोगों को अपने घरों से पानी लेकर श्मशान घाट जाना पड़ता है. विधि-विधान के लिए गैलेन में पानी ले जाया जाता है़ अंतिम संस्कार के बाद आधा किलोमीटर दूर डीवीसी की पाइप लाइन से हो रहे रिसाव से स्नान करने के बाद लोग अपने घर लौटते है़ं जितनी देर लोग वहां रहते हैं, खुले आसमान के नीचे रहते हैं. ऐसे में यदि किसी की प्यास लग जाये, तो उन्हें दूसरी जगह जाना पड़ता है. अगर यहां चापानल की व्यवस्था की जाती, तो पानी की काफी हद तक समस्या दूर हो जाती. झारखंड सरकार के मनरेगा द्वारा शेड भी बनाया जा सकता है, मगर विभागीय पेंच के कारण डीवीसी की जमीन होने के कारण राज्य सरकार अपना पैसा नहीं लगा रही है़ डीवीसी का भी इस ओर ध्यान नहीं है, जबकि ग्रामीण वर्षों से गुहार लगा लगा कर थक चुके हैं. हालांकि जानकी यादव जब इस क्षेत्र के विधायक थे, तो उन्होंने एक चापानल की अनुशंसा की थी, वह भी विभागीय पेंच के कारण नहीं लग पाया़

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version