कोडरमा गोशाला ने अब स्वच्छंद विचरण करेंगी गायें

कोडरमा की ऐतिहासिक गोशाला ने अपने 75वें वर्ष में प्रवेश करते हुए नयी मिसाल कायम की है. रविवार को गोशाला में पहली बार सभी गायों को खूंटे में बांधने की परंपरा को बदलते हुए गोशाला परिसर में स्टील के पाइप से बना वार्ड तैयार किया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 19, 2025 9:05 PM

झुमरीतिलैया़ कोडरमा की ऐतिहासिक गोशाला ने अपने 75वें वर्ष में प्रवेश करते हुए नयी मिसाल कायम की है. रविवार को गोशाला में पहली बार सभी गायों को खूंटे में बांधने की परंपरा को बदलते हुए गोशाला परिसर में स्टील के पाइप से बना वार्ड तैयार किया गया है. अब गायों को खुला छोड़ दिया गया है, जहां वे स्वच्छंद रूप से घूम सकती हैं. वर्षों बाद गायों को खुले में खेलते देखना गो-प्रेमियों के लिए सुखद अनुभव है. इस बदलाव ने न केवल गायों को स्वास्थ्यवर्धक माहौल दिया है, बल्कि गोशाला में व्यवस्था का भी नया अध्याय लिखा है. गोशाला के उन्नति कार्य में शहरवासियों और बाहर रहने वाले कोडरमा निवासियों का बड़ा योगदान देखने को मिला. संस्थानों और व्यक्तियों ने 11,000 रुपये प्रति यूनिट की राशि देकर शेड निर्माण में मदद की, ताकि गायें गर्मी, बरसात और ठंड में सुरक्षित रहें. गोशाला में गायों के चारे और पानी के लिए आधुनिक व्यवस्थाएं की गयी हैं. चारा हॉल में अलग-अलग हौद बनाया गया है, जिनमें मार्बल और नालियों की व्यवस्था है, ताकि पानी का प्रवाह व्यवस्थित रहे.

400 गायों के लिए पहली रोटी गाय की योजना का लक्ष्य

गोशाला में रहनेवाली 400 गायों के लिए 2,500 रुपये वार्षिक की दो रोटी अभिभावक योजना चलायी गयी है. इससे गायों के भोजन का खर्च जुटाया जा रहा है. इस योजना का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को जोड़ना और गायों के भरण-पोषण की व्यवस्था सुनिश्चित करना है.

स्कूलों ने बच्चों को गोमाता के महत्व से जोड़ा

गोशाला का भ्रमण करवाकर शहर के स्कूल बच्चों को गोमाता के महत्व और उनकी देखभाल के प्रति जागरूक कर रहे हैं. बच्चों ने इस पहल को समझा और गौशाला के लिए योगदान देने का संकल्प लिया. शहर के सभी स्कूलों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य है, ताकि बच्चों में सनातन संस्कृति और गोमाता के प्रति प्रेम जागृत किया जा सके.

गोमाता को मिला स्वच्छंद वातावरण

गोशाला प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए गायों के लिए खुले में विचरण की व्यवस्था शुरू की है. अब हर दिन वार्ड के हिसाब से गायों को खुला छोड़ा जायेगा. यह बदलाव न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें सुकून प्रदान करेगा. गायों को ताजी हवा में घूमते, खेलते और आपस में मिलते देखना गो-प्रेमियों के लिए बेहद संतोषजनक है.

प्रकृति संरक्षण के लिए गोकास्ट योजना

गोशाला प्रशासन ने प्रकृति संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. अब गोशाला गोकास्ट भी तैयार कर रही है, ताकि गायों के शवों का सही तरीके से प्रबंधन किया जा सके. गोकास्ट का उद्देश्य गायों के शवों को जलाने या जलावन के रूप में उपयोग कर सकें, जिससे न केवल प्राकृतिक संसाधनों की बचत हो, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके. यह पहल गोशाला के संवेदनशील और पर्यावरणीय दृष्टिकोण को और मजबूत करती है. शेड निर्माण के लिए जुटाई गयी राशि का उपयोग आधुनिक संरचनाओं के निर्माण में किया गया है. अब गायों के लिए ऐसे शेड बनाए गए हैं, जो हर मौसम में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. इनमें चारे और पानी की उचित व्यवस्था के साथ-साथ नालियों की व्यवस्था भी है, जिससे पानी का बहाव नियंत्रित रहे.

गोशाला का चारदीवारी में बदलना ऐतिहासिक कदम

पहले खुले मैदान में स्थित गोशाला अब पूरी तरह से चारदीवारी से घिर चुकी है. यह परिवर्तन न केवल गायों की सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि बाहरी खतरों से उन्हें बचाने के लिए भी कारगर है. यह प्रयास गोशाला को एक संगठित और अनुशासित केंद्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ है. गोशाला प्रशासन ने भविष्य में और भी आधुनिक सुविधाओं को जोड़ने की योजना बनायी है. गायों के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम किया जा रहा है. प्रशासन का उद्देश्य है कि गोशाला न केवल गायों के लिए एक सुरक्षित स्थान बने, बल्कि यह गोसेवा का आदर्श केंद्र भी बने. इस ऐतिहासिक गौशाला के 75वें वर्ष में प्रवेश के साथ, कोडरमा शहरवासियों के लिए यह गौरव का विषय बन गया है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि गोशाला अब केवल एक संस्थान नहीं, बल्कि शहर की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का प्रतीक बन चुकी है. प्रशासन और भक्तों के संयुक्त प्रयासों से गौशाला आने वाले वर्षों में और भी उच्चतम उपलब्धियां हासिल करेगी. गोशाला में हो रहे सुधार और गायों के प्रति बढ़ते प्रेम ने यह साबित कर दिया है कि कोडरमा के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा के प्रति समर्पित हैं. यह प्रयास न केवल गोमाता की भलाई के लिए है, बल्कि समाज को सेवा, सहयोग और एकता का संदेश भी दे रहा है.

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