लॉकडाउन से प्रदूषण का स्तर हुआ कम, तिलैया डैम में भी दिखने लगा बदला- बदला नजारा

इस लॉकडाउन में जरूरी चीजों को छोड़कर अन्य सभी गतिविधियों पर रोक है, तो इसका असर दिख रहा है. अधिकतर वाहनों का परिचालन, उद्योग धंधे व कामकाज बंद होने से प्रदूषण का लेवल कम हो रहा है. इससे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल तिलैया डैम का अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है.

By Panchayatnama | May 5, 2020 3:40 PM

विकास

कोडरमा : वैश्विक महामारी कोरोना (Corona Pandemic) के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में पिछले 40 दिन से लॉकडाउन (Lockdown) है. इस लॉकडाउन में जरूरी चीजों को छोड़कर अन्य सभी गतिविधियों पर रोक है, तो इसका दोतरफा असर दिख रहा है. एक तरफ जहां अधिकतर वाहनों का परिचालन, उद्योग धंधे व कामकाज बंद होने से प्रदूषण का लेवल कम हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ कई लोगों का रोजगार भी छीन रहा है. इन दोनों स्थितियों के बीच प्रकृति की सुंदरता उन जगहों पर और निखर कर सामने आ रही है, जहां कुछ दिनों पूर्व पहुंचने वाले लोग इस सुंदरता में छेडछाड़ करते थे. कुछ इसी तरह का दृश्य इन दिनों जिले में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल तिलैया डैम का दिख रहा है. यहां आज-कल प्रकृति के दिलकश नजारें देखने को मिल रहे हैं.

लॉकडाउन के कारण पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह बंद होने के बाद से तिलैया डैम का पानी व आसपास का पूरा इलाका साफ हो गया है. डैम का पानी इतना साफ हुआ है कि यहां रहने वाले स्थानीय लोग भी हैरान हैं. इस इलाके में आये बदलाव को लोग अच्छा संकेत मानते हैं. जानकार लोगों की मानें, तो यह बदली हुई स्थिति पशु-पक्षियों के साथ ही मानव जाति के लिए भी वरदान साबित होगी. ऐसे समय में जब हम प्रकृति की सुंदरता को लगातार क्षति पहुंचा रहे थे, तो इस वैश्विक महामारी के बहाने ही सही प्रकृति खुद को संतुलित करने में लगी है. यही नहीं, बदलाव का असर वाटर लेवल पर भी दिख रहा है.

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वर्तमान में तिलैया डैम में 1199 फीट (365.49 मीटर) पानी है, जबकि इसकी क्षमता 1210 फीट की है. इससे ज्यादा पानी होने पर डैम के 14 में से कुछ फ्लड गेट को खोल कर पानी बराकर नदी में छोड़ा जाता है. वर्तमान समय व पिछले वर्ष की स्थिति पर बात करें, तो वाटर लेवल पहले से अच्छा है. पिछले वर्ष यानी चार मई 2019 को वाटर लेवल 1193.92 फीट था, जो इस वर्ष 1199 फीट पर पहुंच गया है.

जानकार यह भी बताते हैं कि तिलैया डैम की हसीन वादियों का असर ही है कि यहां प्रत्येक वर्ष सर्दियों के मौसम में विदेशी पक्षियों का अागमन काफी संख्या में होता है. हालांकि, इस वर्ष पहली बार विदेशी पक्षियों का शिकार करने का मामला प्रकाश में आया था. यही नहीं बरही से कोडरमा एनएच के फोरलेन निर्माण कार्य से भी डैम के केचमेंट एरिया को क्षति पहुंच रही है. ऐसे में यह कितना असर डालेगा यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, पर लॉकडाउन की वजह से इस डैम के आसपास की आबोहवा जरूर बदल गयी है. सुंदरता यह है कि नाव की छाया को पानी के अंदर साफ देखा जा सकता है. इसके अलावा डैम के एक किनारे से दूसरे किनारे और चेचरो पार्क तक की सुंदरता साफ दिख रही है.

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दिख रहा बदलाव, बंद करनी होगी प्रकृति से छेड़छाड़

डीवीसी के वरीय प्रमंडलीय अभियंता सह तिलैया बांध पन बिजली केंद्र के प्रभारी अजीत शर्मा कहते हैं कि लंबे समय से जिस तरह लोग प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहे थे, वह हम सब के लिए अच्छा नहीं था. प्रकृति से छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि नदियां सूखने लगी थीं. लॉकडाउन के बाद सबसे ज्यादा बदलाव का असर प्रकृति पर दिख रहा है. ऐसे में यह साफ हो जाता है कि प्रकृति से हम खिलवाड़ न करें. प्रकृति संतुलित रहेगी तभी हमारा जीवन सुरक्षित है.

तिलैया डैम में जहां पहले अक्सर गंदगी दिख जाती थी, वहीं अब की बात करें, तो यहां साफ-सफाई के साथ पानी भी पूरी तरह साफ हो गया है. वैसे भी इसी डैम पर कोडरमा जिला व बरही क्षेत्र की जलापूर्ति व्यवस्था टिकी हुई है. अगर भविष्य को देखते हुए योजनाबद्ध तरीके से ध्यान नहीं रखा गया, तो आगे परेशानी हो सकती है.

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नाविकों का छीना रोजगार, जीवन चलाना मुश्किल

लॉकडाउन के बीच तिलैया डैम की आबोहवा पहले से और बेहतर हुई है, तो दूसरी तरफ पर्यटकों की आवाजाही बंद होने से यहां नावों का संचालन करने वाले नाविक बेरोजगार हो गये हैं. दामोदर घाटी निगम की ओर से वर्षों पूर्व बनाये गये इस डैम में विस्थापितों के लिए रोजगार की व्यवस्था हो, इसी उद्देश्य से यहां नाव का संचालन शुरू किया गया था, पर पिछले 40 दिनों से नाव संचालन पूरी तरह बंद है.

नाविक बताते हैं कि जब पर्यटक आयेंगे ही नहीं, तो नाव चलाकर फायदा भी क्या है. हम तो अपनी जिंदगी कैसे चलेगी यही सोच कर समय काट रहे हैं. समझ में नहीं आता क्या होगा. डैम में जिला प्रशासन की ओर से दिये गये डबल डैकर बोट के अलावा करीब दर्जन भर बोट का संचालन किया जाता था, पर यह इन दिनों पूरी तरह बंद है. ऐसे में बोट का संचालन कर जीवन यापन करने वाले विस्थापित व अन्य लोग परेशान हैं.

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अपना दर्द बयां करते तिलैया डैम के नाविक

बोट संचालक सियालाल यादव कहते हैं कि हम करीब दर्जन भर लोग तिलैया डैम में बोट का संचालन कर अपनी जीविका चलाते हैं, पर लॉकडाउन के बाद सब कुछ बंद है. पर्यटक आ नहीं रहें, तो बोट का संचालन नहीं कर पा रहे हैं. उम्मीद है जल्द स्थिति सुधरेगी और हमें राहत मिलेगी.

बोट संचालक देव नारायण सिंह कहते हैं कि तिलैया डैम में हम सभी वर्षों से बोट का संचालन करते आ रहे हैं. कुछ खेती-बारी कर व बोट के संचालन से परिवार की जिंदगी चलती थी, पर लॉकडाउन की वजह से परेशानी बढ़ गयी है. पहले हम तीन से चार सौ रुपये जरूर बोट चलाकर कमा लेते थे, पर इन दिनों पूरी तरह आफत है.

एक अन्य बोट संचालक संताष राम का कहना है कि लॉकडाउन में अधिकतर चीजें बंद हैं, तो इसका असर हमारे जीवन पर भी पड़ा है. यह अलग बात है कि तिलैया डैम व आसपास की सुंदरता और बढ़ी है, पर पर्यटकों के नहीं आने से हमारा काम-धंधा भी बंद हो गया है. हम अपनी रोजी-रोटी कैसे चलायेंगे, समझ में नहीं आ रहा है.

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