प्रभात खबर इंपैक्ट : गिद्धों के संरक्षण को लेकर कवायद शुरू, जायजा लेने पहुंचे वन संरक्षक एवं डीएफओ
Jharkhand news, Koderma news : झुमरीतिलैया के गांधी स्कूल के पीछे वाले हिस्से में एक साथ गिद्धों का झुंड दिखने की खबर प्रभात खबर में प्रकाशित होने के बाद वन विभाग के अधिकारी रेस हो गये हैं. हजारीबाग क्षेत्र के वन संरक्षक अजीत कुमार एवं वन प्रमंडल पदाधिकारी कोडरमा सूरज कुमार सिंह ने दलबल के साथ शुक्रवार को उक्त क्षेत्र का जायजा लिया, जहां बड़ी संख्या में गिद्ध दिखे थे.
Jharkhand news, Koderma news : कोडरमा : झुमरीतिलैया के गांधी स्कूल के पीछे वाले हिस्से में एक साथ गिद्धों का झुंड दिखने की खबर प्रभात खबर में प्रकाशित होने के बाद वन विभाग के अधिकारी रेस हो गये हैं. हजारीबाग क्षेत्र के वन संरक्षक अजीत कुमार एवं वन प्रमंडल पदाधिकारी कोडरमा सूरज कुमार सिंह ने दलबल के साथ शुक्रवार को उक्त क्षेत्र का जायजा लिया, जहां बड़ी संख्या में गिद्ध दिखे थे.
शुक्रवार (2 अक्टूबर, 2020) सुबह करीब 10 बजे जेएसएमडीसी (JSMDC) की जमीन के पिछले हिस्से में पहुंचे अधिकारियों को एक बार फिर यहां गिद्धों का झुंड दिखा. इससे उत्साहित होकर वन संरक्षक ने प्रभात खबर के प्रति आभार जताते हुए कहा कि अखबार के माध्यम से मिली जानकारी के बाद वे स्थिति से खुद अवगत होने पहुंचे. आज यहां करीब 100 की संख्या में गिद्ध दिखे हैं. यह अच्छा संकेत है.
निरीक्षण के बाद पत्रकारों से बातचीत में वन संरक्षक ने कहा कि यह हम सभी जानते हैं कि झारखंड में गिद्धों की संख्या काफी कम हो गयी है. गिद्ध प्रकृति के सफाई कर्मी के रूप में जाने जाते हैं. ये यत्र-तत्र मृत अवस्था में फेंके हुए मवेशियों को अपना शिकार बनाते हैं. अगर गिद्ध नहीं होंगे, तो मृत मवेशियों के प्रभाव से महामारी फैलेगी. गिद्ध मवेशियों को एक दिन में साफ कर देते हैं. ऐसे में इन पर कीड़े आदि नहीं लग पाते.
उन्होंने कहा कि गिद्ध इको सिस्टम (Eco system) का महत्वपूर्ण पक्षी है, पर हाल के वर्षों में मवेशियों को जनित रोग से बचाने के लिए लोग सस्ती डाइक्लोफेनिक (Diclofenic) दवा का इस्तेमाल करते हैं. यह दवा जानवरों के लिए घातक है. जानवरों के मरने के बाद जब उन्हें खुली जगह पर छोड़ा जाता है, तो गिद्ध इन्हें खाते हैं, लेकिन घातक दवा का असर होने की वजह से गिद्धों की किडनी खराब होने के साथ ही इनकी प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो जाती है. वैसे भी गिद्धों में प्रजनन क्षमता कम रहती है. यही वजह है कि गिद्धों की संख्या में काफी कमी आयी है. इस समय सबसे ज्यादा जरूरी है गिद्धों के संरक्षण को लेकर सभी का जागरूक होना. अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो सीधे तौर पर महामारी को आमंत्रित करेंगे और जीवन काटना मुश्किल होगा.
उन्होंने बताया कि गिद्धों का सेंसस राज्य में चल रहा है. वन विभाग इनके संरक्षण को लेकर प्रयासरत है. हजारीबाग की तरह कोडरमा के लिए भी अलग से योजना बनायी जायेगी. वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट प्लान (Wild life management plan) के तहत भी संरक्षण को लेकर प्रयास होंगे.
वहीं, डीएफओ सूरज कुमार सिंह ने कहा कि बाजार में डाइक्लोफेनिक जैसी घातक दवाइयों की बिक्री न हो इसको लेकर जिला प्रशासन से समन्वय बनाकर मेडिकल दुकानदारों एवं आमलोगों को जागरूक किया जायेगा. जरूरत पड़ी तो दवा की बिक्री पर रोक के लिए मेडिकल दुकानों में छापामारी भी की जायेगी.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों के बाद अब झुमरीतिलैया शहरी क्षेत्र में भी विलुप्त प्राय: पक्षियों के विचरण की जानकारी मिल रही है. ऐसे में शहरी क्षेत्र में भी ऐसी पक्षियों खासकर गिद्ध, चिल, चमगादड़ आदि का सेंसस कराया जायेगा. मौके पर वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी सिद्धेश्वर प्रसाद समेत अन्य मौजूद थे. मालूम हो कि जब वन विभाग के अधिकारी इस इलाके में पहुंचे, तो अलग-अलग जगहों पर गिद्ध दिखे. झुंड में सादे रंग का भी गिद्ध देखे जाने पर अधिकारी हैरान रहे.
Posted By : Samir Ranjan.