कोडरमा : बालू माफियाओं का आतंक, कीमत बढ़ने से परेशानी

पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है. इससे नदी के आसपास के इलाकों में पेयजल संकट उत्पन्न हो रहा है, यदि इसी प्रकार बालू का उत्खनन होता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब लोग पानी के लिए तरसेंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | February 7, 2024 5:34 AM

राजेश सिंह, जयनगर: कोडरमा जिले के प्रखंड सहित आसपास के इलाकों में बालू के अवैध उत्खनन के कारण जहां नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया हैं, वहीं इन दिनों बालू माफियाओं का भी मनोबल बढ़ गया है़ यही कारण है कि हाल के दिनों मेें बालू की कीमत में बेतहाशा वृद्धि हुई है़ कीमत बढ़ने से आम लोग परेशान हैं. घरेलू कामकाज के लिए भी लोगों को आसानी से बालू नहीं मिल रहा है़ बालू लेने के लिए लोगों को मनमानी कीमत चुकानी पड़ रही है़ हाल यह है कि जहां ग्रामीण इलाकों में एक ट्रैक्टर बालू 3000-3500 रुपये में मिल रहा है, वहीं झुमरीतिलैया शहरी क्षेत्र में तो यह दर 4000-4500 रुपये तक पहुंच गया है.

जानकारी के अनुसार, जयनगर प्रखंड के अक्तो, हरहारो, गोपालडीह, महुआटांड़, सरमाटांड़, सतडीहा, योगियाटिल्हा, तेतरौन, दुमदूमा, केसो, तमाय, धरेयडीह, करियावां घाट पर लगातार बालू उत्खनन के कारण नदी समतल मैदान बनता जा रहा है. पहले लोग बराकर नदी के किनारे गेहूं की खेती करते थे, मगर अब खेती योग्य जमीन पर बालू गिरा होने के कारण खेती भी बंद हो गयी है. इधर, बालू के अवैध कारोबार में माफियाओं की दबंगता के कारण बालू की कीमत में बेतहाशा वृद्धि हुई है़ खनन विभाग व पुलिस प्रशासन द्वारा कभी कभार धर पकड़ की जा रही है, पर यह नाकाफी साबित हो रहा है़ यही नहीं, लोगों को सुलभ तरीके से बालू उपलब्ध हो, इसके लिए भी ठोस पहल नहीं दिखती़ मजबूरी मेें लोगों को अधिक कीमत देकर बालू लेनी पड़ती है.

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बालू के अवैध उत्खनन से नीचे ज रहा है जलस्तर

बालू के अवैध उत्खनन से जहां नदियों का आसपास के इलाकों का जलस्तर पाताल छूने लगा है, वहीं पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है़ इससे नदी के आसपास के इलाकों में पेयजल संकट उत्पन्न हो रहा है, यदि इसी प्रकार बालू का उत्खनन होता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब लोग पानी के लिए तरसेंगे. विशेषज्ञों के अनुसार, नदियों के सिमटने का एक बड़ा कारण बालू का अवैध उत्खनन है.

बालू के कारोबार में माफियाओं का बढ़ा हस्तक्षेप

बताया जाता है कि पहले जब टेंडर प्रक्रिया के तहत बालू का उठाव होता था, तो लोग ग्रामीण क्षेत्र में अपना घर बनाने के लिए नदियों से बालू लाते थे़ धीरे-धीरे उत्खनन ने अवैध रूप ले लिया और गांव की नदियों का बालू शहर पहुंचने लगा़ बालू में मुनाफा देख कई माफिया सक्रिय हो गये. आज की तारीख में एक-दो माफिया ने घोषणा कर रखी है कि जो भी बालू उठायेगा, वह उसके माध्यम से ही बालू की बिक्री कर पायेगा़ फिलहाल 500 रुपये में बिकने वाला बालू चार हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर से अधिक का हो गया है़ सूत्रों की मानें, तो इसके पीछे जिस जगह से बालू उठता है, वहां का खर्च दो हजार, चालान का 1600 व अन्य खर्च इस कीमत में शामिल है़ एक तरफ बालू की कीमत आसमान पर है, तो दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा है़ मिलीभगत से बालू का अवैध कारोबार कर कुछ लोग निजी लाभ उठा रहे हैं, जबकि सरकारी राजस्व की क्षति हो रही है.

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