शांति से दुख सहन करना सबसे बड़़ा तप है : गुणमाला दीदी

सातवां दिन भक्तों ने उत्तम तप धर्म के रूप में मनाया़

By Prabhat Khabar News Desk | September 14, 2024 8:54 PM

झुमरीतिलैया. दशलक्षण पर्यूषण का सातवां दिन भक्तों ने उत्तम तप धर्म के रूप में मनाया़ ब्रह्मचारिणी गुणमाला दीदी, चंदा दीदी ने अपनी अमृतवाणी में कहा की इच्छाओं का त्याग करना ही तप धर्म है, शांति से दुख सहन करना सबसे बड़ा तप है, बिना तप के कोई शुद्ध नहीं होता, जीवन में उसी के सामने झुको, जिसके जीवन में तप हो. जमीन के अंदर पैर के नीचे दबने वाली मिट्टी भी आग में तपने के बाद मूर्ति का आकार लेकर पूजनीय हो जाती है़ उन्होंने कहा कि आत्मा के अंदर अनंत शक्ति भरी हुई है, उसको निखारना बिना तप के संभव नहीं है. प्रातः गुणमाला दीदी के मुखारविंद से नया मंदिर में विश्व शांति धारा का पाठ कराया गया़ महावीर भगवान का प्रथम अभिषेक व शांति धारा दशलक्षण व्रत धारी के परिवार को मिला़ बड़ा मंदिर में मूल नायक पारसनाथ भगवान का प्रथम अभिषेक शांति धारा का सौभाग्य अजीत राजेश गंगवाल परिवार को मिला़ सरस्वती भवन में श्री जी का श्री विहार कर पांडुलशिला में विराजमान कर प्रथम अभिषेक शांतिधारा का सौभाग्य रजत झारी से विजय-विकाश सेठी परिवार को मिला. 1008 पारसनाथ भगवान का शांति धारा का सौभाग्य इंदु देवी राकेश-अनूप सेठी, अविश पहाड़िया, कतरासगढ़ के परिवार को मिला़ पार्षद पिंकी जैन सहमंत्री राज छाबड़ा, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र काला भंडारी, सुनील शेट्टी, मीडिया प्रभारी राजकुमार अजमेरा नवीन जैन ने सभी 10 लक्षण व्रतधारियों के कठिन तप उपवास की अनुमोदना की. गुणमाला दीदी एवं चंदा दीदी ने अपने हाथों से सभी व्रत धारी को विश्व शांति धारा के लाखों मंत्रों का पूजित जल मस्तक पर लगाने के लिए दिया़ साथ ही व्रतियों का निर्विघ्न उपवास के लिए आशीर्वाद दिया़

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