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वासंतिक नवरात्र व हिंदू नव वर्ष की शुरुआत आज से

जिले भर में उत्साह के माहौल में मां के आगमन की तैयारी हो रही है.

झुमरीतिलैया. वासंतिक नवरात्र व हिंदू नव वर्ष मंगलवार से भक्तिभाव के साथ शुरू हो रहा है. जिले भर में उत्साह के माहौल में मां के आगमन की तैयारी हो रही है. मां घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे शुभ नहीं माना जा रहा है. नवरात्रि की शुरुआत जिस दिन से होती है, उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है. चैत्र नवरात्र नौ अप्रैल से आरंभ हो रहा है, जो 17 अप्रैल तक चलेगा. पंडितों की माने, तो घोड़े पर सवार होकर माता रानी का आगमन शुभ नहीं माना जाता. नवरात्र के नौ दिनों तक पूजा-पाठ में विशेष अनुष्ठान से शुभ फल व अनहोनी के प्रभाव को कम किया जा सकता है. नवरात्र में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा सिद्धिदायक होती है. पंडित गौतम पांडेय ने बताया कि चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि आठ अप्रैल को रात 11 बज कर 50 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन नौ अप्रैल को रात आठ बज कर 30 मिनट पर होगा. ऐसे में नौ अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी. मंगलवार को अहले सुबह घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह छह बज कर दो मिनट से लेकर 10 बज कर 16 मिनट तक है. अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करने वालों के लिए शुभ समय 11 बज कर 36 मिनट से लेकर दोपहर 12 बज कर 24 मिनट तक है. इन दो शुभ मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं. पंडितों ने बताया कि इस वर्ष महाअष्टमी का व्रत 16 अप्रैल को मनाया जायेगा, जबकि मां भवानी का प्रस्थान 18 अप्रैल को दशमी तिथि में होगा. वहीं 17 अप्रैल को पूरे जिले भर में प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव रामनवमी के रूप में मनाया जायेगा. इधर, वासंतिक नवरात्र को लेकर बाजार में चहल पहल बढ़ गयी है़ पूजन सामग्री की दुकानों से लेकर फल आदि की दुकानों में बिक्री परवान पर है़

ऐसे करें कलश स्थापना व पूजन

पंडितों के अनुसार, कलश स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त नौ अप्रैल को दिन में 11:36 मिनट से लेकर दोपहर 12:24 मिनट तक रहेगा. गौतम पांडेय ने बताया कि कलश स्थापना के लिए कलश लोहा या स्टील का नहीं होना चाहिए. कलश स्थापना के लिए पवित्र मिट्टी से बेदी का निर्माण करें, फिर उसमें जौ और गेहूं बोएं तथा उस पर यथा शक्ति मिट्टी, तांबे या सोने का कलश स्थापित करें.

12 से प्रारंभ हो रहा चैती छठ महापर्व

12 अप्रैल से चैती छठ महापर्व शुरू हो जायेगा. चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन नहाय खाय का अनुष्ठान होगा. 13 अप्रैल को पर्व के दूसरे दिन व्रत धारी दिन उपवास रख कर सूर्यास्त के बाद भगवान की पूजा-अर्चना करेंगे. खीर, रोटी, केला आदि का नैवेद्य अर्पित कर सबकी मंगलकामना की प्रार्थना करेंगे. 14 अप्रैल को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जायेगा और 15 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन होगा.

किस दिन किस देवी की पूजा

9 अप्रैल : मां शैलपुत्री

10 अप्रैल : मां ब्रह्मचारिणी

11 अप्रैल : मां चंद्रघंटा

12 अप्रैल : मां कूष्मांडा

13 अप्रैल : मां स्कंदमाता

14 अप्रैल : मां कात्यायनी

15 अप्रैल : मां कालरात्रि

16 अप्रैल : मां महागौरी

17 अप्रैल : मां सिद्धिदात्री

18 अप्रैल : व्रत पारण एवं हवन

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