!!संतोष!!
बेतला : बिजली संकट ने बेतला में आ रही सैलानियों की परेशानी बढ़ा दी है. स्थिति यह है कि अब सैलानी बेतला में रुकने से कतराने लगे है. पहले घंटे दो घंटे के लिए बिजली गुल होती थी. लेकिन इधर 15 जून के बाद बिजली की स्थिति काफी लचर हो गयी है. आंकड़ों पर गौर करे तो 24 घंटों में औसतन दो से तीन घंटे बिजली मिली है. इस अवधि में कई दिना ऐसा भी हुआ है जब बिजली ही नही मिली. ऐसे में यह स्वभाविक है कि जो सैलानी अपना छुट्टी इंजवाय करने यहां आ रहे है उन्हें परेशानी हो रही है. कई सैलानी तो अपनी बुकिंग बीच मे ही कैंसिल कराकर वापस भी लौट रहे है. जुलाई से सितंबर माह तक बेतला पार्क में नो इंट्री रहता है.
30 जून तक गरमी छुट्टी का समय है. इसलिए छुट्टी की अंतिम सप्ताह होने के कारण बड़ी संख्या में सैलानी बेतला पहुंच रहे थे. इसे लेकर रेस्ट हाउस व कैटिनवाले काफी खुश थे. पर बिजली की कमी ने व्यवसाय को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया. बिजली नहीं रहने के कारण पानी भी नहीं मिल पा रहा है. गरमी के कारण लोगों का रहना मुश्किल हो रहा है. बताया जाता है कि वन विभाग के रेस्ट हाउस में जेनरेटर की सुविधा है पर उसके लिए
सैलानियों को अतिरिक्त राशि देनी पड़ती है.इस राशि को लेकर कई बार सैलानी और रेस्ट हाउस प्रबंधक के बीच कहासुनी भी हो जाती है. क्योंकि अभी वन विभाग ने जो व्यवस्था की है उसके अनुसार आनलाइन बुकिंग हो जा रही है. बुकिंग में इसका प्रावधान नही है कि बिजली नहीं रहने के स्थिति में जेनरेटर चलने पर अतिरिक्त राशि देनी होगी. इसलिए यहां आने पर जबसैलानियों से जेनरेटर के लिए अलग पैसा मांगा जाता है तो सैलानी भड़क उठते है. इसलिए प्रबंधन के लोग पहले ही यह कह देते है कि जेनरेटर की सुविधा हीनही है.बताया जाता है कि बेतला का हाल जानकर जो वीआईपी सैलानी जून के अंतिम सप्ताह में यहां आनेवाले थे उन्होंने अपनी बुकिंग कैन्सिल करा दी है. इसकी पुष्टी वन विभाग के लोगों ने भी की है.
दावा 20 घंटे का, दो घंटे भी नहीं मिल रही है बिजलीएमडी राहुल पुरवार जब बेतला आये थे तो उन्होंने कहा था कि बेतला जैसेनेशनल पार्क को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए. यदि बिजली की कमी भी हो तो इस इलाके को कम से कम 20 घंटे बिजली जरूर मिलना चाहिए. इस व्यवस्था को सुनिश्चित करने का आदेश उन्होंने विभाग के जीएम को दिया था. लेकिन 20 घंटे की बात कौन कहे यहां तो घंटे दो घंटे पर ग्रहण लगा हुआ है. ऐसे में सवाल उठना स्वभाविक है. नये पर्यटन स्थल का विकास क्या होगा. जब हम पुराने राष्ट्रीय पार्क को बेहतर सुविधा नहीं दे पा रहे है तो आगे होगाक्या. ऐसे में सुलगता सवाल यह है कि हालात ऐसे रहे तो
आखिर कैसे होगा इको टुरिजम का विकास,यह है लक्ष्य
सरकार ने यह तय किया है कि इको टुरिजम को बढ़ावा दिया जायेगा. इसके तहत यह तय किया गया है कि बेतला में ऐसा महौल तैयार किया जाये ताकि प्रत्येक वर्ष कम से कम बेतला में एक लाख से अधिक पर्यटक आये. अभी जो आंकड़े है उसके अनुसार प्रत्येक वर्ष बेतला में 15 से 20 हजार सैलानी आते है. बेतला से जुड़े लोगों का कहना है कि बिजली नहीं रहेगी तो परेशानी होगी भी.
मोमबती की जगह लैंप उपलब्ध करायेगा विभाग
अभी जब बेतला में बिजली कटती है तो जो सैलानी वन विश्रामागार में ठहरे रहते है. वह मोमबत्ती के सहारे रात काटते है. सैलानी को सुविधा हो इसके लिए वन विभाग ने यह तय किया है कि वन विश्रामागार में इमरजेंसी लाईट उपलब्ध कराया जायेगा. डिप्टी डायरेक्टर अनिल कुमार मिश्रा ने बेतला रेंजर को यह निर्देश दिया है कि इमरजेंसी लाईट उपलब्ध कराकर सैलानियों को यह समझाये कि इस परिस्थिति का भी आनंद ले. यदि जंगल में आये है तो यह भी माइंड सेट रखे की यहां शहर जैसी सुविधा नहीं मिल सकती . प्रकृति के निकटता का आनंद उठाये.