लातेहार : एक ही टोले में साल में दस बार गिरती है बिजली, प्रकृति के कहर से भयभीत हैं लोग

!!संतोष!! बेतला :केचकी गांव के महुराम टोला के लोग दहशत में रहते हैं. उनकी दहशत की वजह कोई उग्रवादी, अपराधी नही है बल्कि वह डर रहे हैं प्रकृति की कोप से. बरसात शुरू होते ही गांव के लोग दहशतजदा हो जाते है. रात में सोने के वक्त बरसात शुरू हो गयी तो पूरी रात दहशत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2017 5:50 PM
!!संतोष!!
बेतला :केचकी गांव के महुराम टोला के लोग दहशत में रहते हैं. उनकी दहशत की वजह कोई उग्रवादी, अपराधी नही है बल्कि वह डर रहे हैं प्रकृति की कोप से. बरसात शुरू होते ही गांव के लोग दहशतजदा हो जाते है. रात में सोने के वक्त बरसात शुरू हो गयी तो पूरी रात दहशत में गुजरती है, न जाने किसके साथ क्या हो जाये. जब किसी तरह रात गुजर जाती है तो लोग सुकुन महसूस करते है. टोले के अधिकांश लोग किसान है. हर किसान की चाहत होती है कि बारिश हो. लेकिन महुराम टोला के किसान बारिश शुरू होते ही सहम उठते है.
केचकी गांव के महुराम टोला की समस्या यह है कि यहां लगातार वज्रपात हो रहा है. पिछले तीन वर्षों की आंकड़ों पर गौर करे तो अब तक 30 दफा से अधिक बार इस टोले में वज्रपात की घटना हो चुकी है. जब भी बिजली गिरती है तो कुछ न कुछ नुकसान जरूर होता है. केचकी का महुराम टोला लगभग 60 घरों का है. इसमें आदिवासी व दलित परिवार के लोग रहते है. टोले में महुआ के कई पुराने पेड़ है. टोला जाने के बाद यह पेड़ से हराभरा दिखता है, लेकिन बरसात की पानी जहां पेड़ों में हरियाली लेकर आती है उसके साथ दहशत का भी संदेश लेकर आती है. टोले के लोग यह समझ नहीं पा रहे है कि आखिर उनके टोले में प्रकृति की कहर क्यों है.
वज्रपात से अब तक जो हुआ है नुकसान
17 जुलाई-2017 को केचकी गांव के महुराम टोला में वज्रपात से 50 वर्षीय जयराम सिंह की मौत हो गयी थी. जबकि कुलदीप सिंह की पत्नी रत्नी देवी घायल हो गयी है. इसी साल 19 जून को जब बरसात की पहली बारिश हुई तो उस दौरान बिजली गिरने से टोले के छात्रा मनीषा कुमारी की मौत हो गयी थी. वह ननिहाल में रहकर पढ़ाई कर रही थी. उसकी मां की मौत हो गयी थी जिसके कारण वह नाना के घर रहकर पढ़ाई कर रही थी. घटना के दिन वह साइकिल से लौट रही थी इसी दौरान बिजली गिरी और उसकी मौत हो गयी थी.
टोले के लोग बताते है कि पिछले तीन साल में कई लोग घायल भी हुए है. वहीं बिजली गिरने से दो दर्जन से अधिक मवेशी की मौत हो चुकी है. वहीं टोले में लगे दर्जनों पेड़ जल चुके है. टोले के लोग कहते है कि यह समस्या पिछले दस वर्षों से बनी हुई है. अब तक काफी नुकसान हो चुका है. लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक कारण अब तक नही ढुंढा गया है कि आखिर एक ही टोला में इस तरह की प्रकृति की कहर क्यों है.
सरकार के संज्ञान में लाया जायेगा मामला मनिका विधायक हरे कृष्णा सिंह के समक्ष गांव वालों ने गुहार लगायी. गुरुवार को विधायक श्री सिंह गांव गये थे. अपनी समस्या सुनाते उनके समक्ष ग्रामीण रो पड़े. कहने लगे कि विधायक जी जो समस्या है उसे दूर करें लेकिन सबसे पहले किसी तरह उनलोगों की जान बचा दें. बेमौत मर रहे है. दस साल से वे लोग प्रकृति की कोप को झेल रहे है पर कोई सुनने वाला नही है. इस पर विधायक श्री सिंह ने कहा कि इस मामले को वह सरकार के समक्ष रखेंगे. वैज्ञानिकों की विशेष टीम गांव आकर अध्ययन करें इसके लिए वह विभागीय मंत्री से बात करेंगे. जरूरत पड़ने पर इस पूरे मामले की जानकारी वह मुख्यमंत्री के समक्ष भी रखेगे. क्योंकि केचकी के महुराम टोला के लोगदहशत में जी रहे है. उन्हें सुरक्षित रखना जरूरी है और इस दिशा में सक्रियता के साथ काम होगा.

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