पुल नहीं बना, तो होगा चुनाव का बहिष्कार
बरसात के दिनों में प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए छह की जगह तय करनी पड़ती है 25 किलोमीटर की दूरी लातेहार : राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव एवं प्रशासनिक उदासीनता का एक जीता जागता उदाहरण है महुआडांड़ प्रखंड की हामी पंचायत के चिकनी नदी पर पुल का नहीं बनना. आजादी के 70 वर्षों बाद भी […]
बरसात के दिनों में प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए छह की जगह तय करनी पड़ती है 25 किलोमीटर की दूरी
लातेहार : राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव एवं प्रशासनिक उदासीनता का एक जीता जागता उदाहरण है महुआडांड़ प्रखंड की हामी पंचायत के चिकनी नदी पर पुल का नहीं बनना. आजादी के 70 वर्षों बाद भी हामी पंचायत के असनारी गांव में बहने वाली चिकनी नदी में पुल नहीं बनाया जा सका है. साल दर साल गुजरते गये.
हर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में प्रत्याशियों ने यहां पुल बनाने की घोषणा की, लेकिन आज तक यहां पुल नहीं बनाया जा सका. यही कारण है कि इस बार ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है. मंगलवार को हामी पंचायत के कई गांवों के ग्रामीणों ने चिकनी नदी के पास पहुंच कर ‘पुल नहीं तो वोट नहीं’ का नारा बुलंद किया.
ग्रामीणों ने बताया कि पुल नहीं बनने से मेढारी, चिकनीकोना, अंबाकोना, ओरसापाठ, चीरोपाठ, कुकुदपाठ, पोखरडीह व जामडीह समेत कई पठारी गांव के ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खास कर बरसात के दिनों में तो उक्त गांव अन्य क्षेत्रों से कट जाता है. कई ग्रामीणों ने बताया कि नदी के उस पार उनकी जमीन है, लेकिन पुल नहीं रहने के कारण बरसात के दिनों वे उस पार खेती नहीं कर पाते हैं. खेती नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र से पलायन कर रहे हैं.
बरसात के दिनों में छह किलोमीटर दूर पंचायत व प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए उन्हें 20 से 25 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. ग्रामीणों का कहना है कि इस नदी पर पुल बन जाने से छत्तीसगढ़ जाने में काफी सहूलियत होगी. छत्तीसगढ़ की दूरी यहां से मात्र 14 किलोमीटर रह जायेगी. ज्ञात हो कि महुआडांड़ से सामरी (छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक गांव) के बीच चिकनी नदी बहती है, लेकिन पुल नहीं रहने के कारण इस सड़क से वाहनों का आवागमन हमेशा बाधित रहता है.