झारखंड : बदलाव की बयार व अनदेखी की कहानी
आज हम आपको झारखंड की तीन तस्वीरों से रू-ब-रू करा रहे हैं. इनमें एक में नक्सल प्रभावित लातेहार जिले के मनिका में औषधीय पौधे की खेती कर विकास के साथ कदमताल करती महिलाओं की बानगी है, तो दूसरी तस्वीर में कभी पिछड़े और उग्रवाद प्रभावित जिले में शुमार चतरा के हंटरगंज के अमित कुमार की […]
आज हम आपको झारखंड की तीन तस्वीरों से रू-ब-रू करा रहे हैं. इनमें एक में नक्सल प्रभावित लातेहार जिले के मनिका में औषधीय पौधे की खेती कर विकास के साथ कदमताल करती महिलाओं की बानगी है, तो दूसरी तस्वीर में कभी पिछड़े और उग्रवाद प्रभावित जिले में शुमार चतरा के हंटरगंज के अमित कुमार की सफलता की दास्तां बयां कर रही है.
अमित ने असिस्टेंट कमांडेंट परीक्षा में पूरे देश में द्वितीय स्थान प्राप्त कर चतरा को एक नयी पहचान दी. वहीं, तीसरी तस्वीर देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा की है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस प्रखंड को गोद लिया है. उचित देख-रेख के अभाव में यहां कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का हाल बेहाल है.
तुलसी व लेमन ग्रास की खेती कर स्वावलंबी बनीं महिलाएं
लातेहार से लौटकर सुनील कुमार झा
झारखंड की महिलाएं खेती के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रही हैं. परंपरागत खेती को छोड़ महिलाएं नकदी फसलों की खेती कर रही हैं. मनिका के कई गावों में महिलाएं तुलसी, लेमन ग्रास, खस की खेती कर रही हैं. इससे उनकी आय में वृिद्ध हो रही है. सिंजू गांव की मंजू देवी ने कहा खेती के पैसे से बेटे का एडमिशन संत जेवियर कॉलेज में कराया.
पति को दुकान खोलने में मदद की. मंजू देवी जैसी सैकड़ों महिलाएं आज इलाके में विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा रही हैं. महिलाएं स्वयं सहायता समूह (सखी मंडल) बना कर खेती कर रही हैं.
सखी मंडल से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि एक एकड़ में लेमन ग्रास की खेती से लगभग 60 हजार रुपये तक की आमदनी होती है. लेमन ग्रास पहली बार लगभग पांच माह में तैयार होता है, इसके बाद एक वर्ष तक साल में तीन बार व दूसरे वर्ष चार बार इसकी कटाई की जाती है. तुलसी का फसल तीन माह में तैयार होता है व एक एकड़ में तुलसी की खेती से लगभग 30 हजार तक की आय होती है. खस की खेती से सबसे अधिक आमदनी होती है, खस 13 माह में तैयार होता है एवं इससे लगभग एक से डेढ़ लाख तक की आमदनी होती है.
सरकार ने लगाया है प्लांट : इन फसलों से तेल निकालने से लेकर इसे बाजार तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था की गयी है. इसके लिए सरकार की आेर से प्लांट लगाया गया है.
तेल तैयार होने के बाद कंपनियों को बेचने के लिए करार भी किया गया है. प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक दीपक कुमार बताते हैं कि लेमन ग्रास की कटाई के बाद दूसरे दिन उसके तेल निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है. एक क्विंटल लेमन ग्रास से लगभग एक लीटर तेल निकाला जाता है, जिसकी कीमत लगभग 1500 रुपये होती है. तुलसी का फसल तैयार होने के बाद उसका फूल, पत्ता व तना को प्लांट लाया जाता है. एक क्विंटल तुलसी से लगभग डेढ़ लीटर तेल निकलता है. तुलसी का एक लीटर तेल लगभग 800 रुपये में बिकता है. जेएसएलपीएस ने इस उत्पाद को बेचने के लिए विभिन्न कंपनियों से करार किया है. इसका उपयोग मुख्य रूप से दवाई, परफ्यूम, सौंदर्य सामग्री बनाने में होता है. झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के तहत महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के तहत महिलाओं को खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
अपने लिए खरीदी स्कूटी, पति के लिए मोटरसाइकिल : रेणुका देवी व पूनम देवी कहती है कि वह सखी मंडल से जुड़ी तो धीरे-धीरे आय में बढ़ोतरी हुई. पूनम देवी आज कलस्टर कॉडिनेटर के पद पर कार्यरत है. अपनी कमायी से खुद के लिए स्कूटी और पति के लिए मोटरसाइकिल खरीदी. परिवार की आमदनी पहले की तुलना में काफी बढ़ गयी है. पूनम जैसी कई महिलाएं आज सखी मंडल से जुड़ कर अपने आप को स्वावलंबी बना रही हैं, साथ परिवार को भी आगे बढ़ा रही हैं.
अमित असिस्टेंट कमांडेंट परीक्षा में देश में सेकेंड टॉपर
हंटरगंज : हंटरगंज निवासी अमित कुमार ने यूपीएससी द्वारा आयोजित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के असिस्टेंट कमांडेंट परीक्षा में पूरे देश में द्वितीय स्थान प्राप्त कर प्रखंड व जिले का नाम रोशन किया है. उसके पिता संजय कुमार प्रधानाध्यापक और मां रेणु शर्मा शिक्षिका हैं. अमित के परिजनों ने बताया कि वह बचपन से ही मेधावी छात्र रहा है.
उसने दसवीं तक की पढ़ाई सैनिक स्कूल तिलैया तथा 12वीं की पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल (बोकारो) से की. अमित ने बीआइटी, मेसरा से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल किया है. बीआइटी, मेसरा में आयोजित क्विज में अव्वल होने पर वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उसे सम्मानित किया था.
दो साल की तैयारी का मिला फल : अमित कुमार ने कहा कि काफी मेहनत के बाद सफलता मिली . इस परीक्षा की तैयारी दो साल से कर रहा था. उसे उम्मीद नहीं थी कि दूसरा रैंक मिलेगा. उसने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शिक्षक व मित्रों को दिया. उसने कहा कि चतरा जैसे जगह से पढ़ाई करने के बाद इस तरह की सफलता मिलना कठिन बात हैं. उसने जिले के छात्र-छात्राओं से कहा कि लगन व मेहनत के साथ परीक्षा की तैयारी करें, सफलता अवश्य मिलेगी.