विधानसभा चुनाव 2019 : नहीं खुला सरकारी डिग्री कॉलेज

आशीष टैगोर लातेहार : इसे राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं कुशल नेतृत्व का अभाव ही कहें कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी लातेहार में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है. पुरानी बातें छोड़ भी दें, तो जिला बनने के 18 साल गुजर जाने के बाद भी लातेहार में किसी सरकारी डिग्री कॉलेज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2019 6:52 AM
आशीष टैगोर
लातेहार : इसे राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं कुशल नेतृत्व का अभाव ही कहें कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी लातेहार में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है.
पुरानी बातें छोड़ भी दें, तो जिला बनने के 18 साल गुजर जाने के बाद भी लातेहार में किसी सरकारी डिग्री कॉलेज की स्थापना नहीं हो सकी है. आज भी यहां के विद्यार्थी मैट्रिक व इंटर के बाद उच्च शिक्षा के लिए मेदिनीनगर या फिर रांची का रुख करते हैं.
हालांकि वर्ष 1984 में स्थानीय समाजसेवी बनवारी साहू के परिजनों ने लातेहार में बनवारी साहू महाविद्यालय की स्थापना करायी, जो आज नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त जिले का एकमात्र डिग्री कॉलेज है.
लेकिन संसाधनों की कमी के कारण प्रतिस्पर्धा के इस दौर में कहीं पीछे छूट जा रहा है. कहना गलत नहीं होगा कि सभी अर्हता पूरी करने के बावजूद इस कॉलेज को सरकारी (अंगीभूत) कॉलेज का दर्जा नहीं मिल सका है. जबकि हर चुनाव में इस कॉलेज के सरकारीकरण का वादा प्रत्याशियों द्वारा किया जाता रहा है. उल्लेखनीय है कि सूबे के तत्कालीन शिक्षा मंत्री बैजनाथ राम ने भी इसी कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की है. पर अपने कार्यकाल में वह भी यह काम नहीं करा सके. वहीं सीमित संसाधनों में ही पठन-पाठन का कार्य करा रहे इस कॉलेज के शिक्षकों को यह भी उम्मीद है कि कभी तो उनके दिन बहुरेंगे.
क्या कहते हैं विधायक
बनवारी साहू महाविद्यालय क्षेत्र का सबसे पुराना डिग्री कॉलेज है और इसके सरकारीकरण (अंगीभूत करने) के लिए अपने कार्यकाल में मैंने कई बार सरकार से पत्राचार किया है. विधानसभा में भी इस महाविद्यालय को अंगीभूत करने की मांग की गयी है. हालांकि लातेहार जिले में तीन नये सरकारी डिग्री कॉलेज खोलने की स्वीकृति सरकार ने दी है. बावजूद इसके बनवारी साहू महाविद्यालय के सरकारीकरण के लिए मैं प्रयासरत हूं.
प्रकाश राम, विधायक लातेहार
लातेहार में एक भी सरकारी कॉलेज नहीं होना यहां की िशक्षा व्यवस्था के पिछड़ेपन को दर्शाता है. डिग्री कॉलेज नहीं रहने के कारण यहां के प्रतिभावान विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं.
बाल मुकंद प्रसाद
सरकारी डिग्री कालेज नहीं होने से सबसे अधिक परेशानी छात्राओं को होती है. घर से बाहर रह कर शिक्षा ग्रहण करना खास कर मध्यम व निम्न आयवर्ग के परिवारों की लड़कियों के लिए मुश्किल है.
अनु कुमारी
लातेहार आदिवासी बहुल जिला है. यहां सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे आदिवासी छात्र-छात्राओं को परेशानी होती है. जिले में एक सरकारी डिग्री कॉलेज की नितांत आवश्यकता है.
सागर कुमार

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