– पहले भी धंस चुका है यह पुल, एक महीने तक बंद था आवागमन
आशीष टैगोर, लातेहार
शहर को बाजकुम स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय से जोड़ने वाला औरंगा नदी पर बने पुल का अस्तित्व खतरे में है. पुल के पास से लगातार हो रहे बालू के उठाव के कारण पुल का पीलर कैप जमीन से काफी उपर आ गया है. इससे पुल के धंसने की आशंका बढ़ गयी है. ज्ञात हो कि इससे पहले भी वर्ष 2016 में उक्त पुल धंस गया था. बाद में आधुनिक उपकरणों के सहयोग से इसकी मरम्मत की गयी थी.
इस दौरान तकरीबन एक महीने तक इस पुल से दुपहिया वाहनों को छोड़ कर अन्य वाहनों का परिचालन बंद था. जानकारों का कहना है कि पीलर कैप को जमीन या बालू के नीचे रहना चाहिए. पानी के बहाव से पीलर कैप घिसकर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं.
शहर की लाइफ लाइन है औरंगा नदी पुल
चाणक्य नगरी स्थित इस पुल को शहर की लाइफ लाइन कहा जा सकता है. इसी पुल से जवाहर नवोदय विद्यालय व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के अलावा रिचुघुटा, डेमू, बाजकुम, शीशी, कल्याणपुर समेत दर्जनों गांव के ग्रामीण आवागमन करते हैं. इस पुल का निर्माण वर्ष 2003-04 में तत्कालीन उपायुक्त कमल किशोर सोन के व्यक्तिगत प्रयास से हुआ था.
उस समय नवोदय विद्यालय के छात्र व छात्राओं एवं शिक्षकों को नदी में उतरकर जिला मुख्यालय आना-जाना पड़ता था. बारिस के दिनों में विद्यालय आने-जाने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. नवोदय विद्यालय प्रबंधन के आग्रह पर उपायुक्त ने उक्त पुल का निर्माण करवाया था. विशेष प्रमंडल विभाग के द्वारा डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से इस पुल का निर्माण कराया गया था.
क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता
इस संबंध में पूछे जाने पर विशेष प्रमंडल विभाग के कार्यपालक अभियंता सुशील कुमार ने बताया कि लगातार बालू उठाव के कारण पुल के पीलर कैप उपर आ जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर बुनियाद ही नहीं रहेगी तो पुल यहां कैसे टिका रह सकेगा. उन्होंने कहा कि पीलर कैप किसी भी पुल का स्तंभ होता है और इसके क्षतिग्रस्त होने से पुल कभी भी धंस सकता है. उन्होंने बताया कि पूर्व में भी खनन विभाग से पत्राचार कर यहां से बालू उठाव रोकने का आग्रह किया गया था.
क्या कहते हैं जिला खनन पदाधिकारी
जिला खनन पदाधिकारी आनंद कुमार ने कहा कि किसी भी पुल के 500 मीटर की परिधि में बालू का उठाव करना अवैध है. अगर कोई ऐसा करता है तो यह प्रावधानों के विपरित है. उन्होंने कहा कि यहां से अवैध बालू उठाव करने वालों की धर-पकड़ के लिए लगातार छापामारी की जाती रही है. कई बार बालू ढोते ट्रैक्टरों को पकड़ा भी गया है.