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शहर में कोचिंग संस्थानों की संख्या में उत्तरोत्तर इजाफा

हेडलाइन…हर दीवार पर विज्ञापन, हर खंभे पर होर्डिंग कई कोचिंग संस्थानों में योग्यताधारी शिक्षक भी नहीं हैं. प्रावधानों का भी किया जाता है उल्लंघन. लातेहार. शहर में इन दिनों शैक्षणिक संस्थानों (कोचिंग सेंटर) की बहार आ गयी है. ये कोचिंग सेंटर आइए, आइकॉम से लेकर बीसीए, एमसीए, एमबीए और एमएसी तक की तालीम देने का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2014 11:02 PM

हेडलाइन…हर दीवार पर विज्ञापन, हर खंभे पर होर्डिंग कई कोचिंग संस्थानों में योग्यताधारी शिक्षक भी नहीं हैं. प्रावधानों का भी किया जाता है उल्लंघन. लातेहार. शहर में इन दिनों शैक्षणिक संस्थानों (कोचिंग सेंटर) की बहार आ गयी है. ये कोचिंग सेंटर आइए, आइकॉम से लेकर बीसीए, एमसीए, एमबीए और एमएसी तक की तालीम देने का दावा कर रहे हैं. कई संस्थान तो जेपीएससी एवं यूपीएससी की तैयारी कराने का भी दंभ भरते हैं. इन संस्थानों द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाता है, ताकि छात्र उनके संस्थान की ओर आकर्षित हो सकें. शहर की ऐसी कोई दीवार नहीं है, जहां इन संस्थानों का विज्ञापन नहीं चिपका हो. कोई ऐसा खंभा नहीं है, जहां इन संस्थानों का होर्डिंग नहीं टंगा हो. बिना पूछे दीवारों पर विज्ञापन चिपकाना तो इनका शगल हो गया है. यही कारण है कि आये दिन दीवार मालिकों से इनकी बक-झक तक होती है. ऐसे संस्थानों द्वारा पोस्टर एवं होर्डिंग पर काफी खर्च किया जाता है. कई ऐसे शिक्षण संस्थानों में न तो योग्यताधारी शिक्षक हैं और न ही वहां किसी प्रावधान का ख्याल किया जाता है. कमतर योग्यताधारी उच्च शिक्षा की तालीम दे रहे हैं. अगर शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच की जाये, तो कई कोचिंग सेंटरों में ताला लटक जायेंगे. लातेहार आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहां के भोले-भाले ग्रामीण इन संस्थानों द्वारा दिये जाने वाले लुभावने विज्ञापनों के चक्कर में पड़ जा रहे हैं. इससे उनका भविष्य खराब हो रहा है. ऐसा नहीं कि शहर में अच्छे कोचिंग सेंटर नहीं है. कई ऐसे कोचिंग सेंटर हैं, जिनका परिणाम अच्छा रहा है.

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