बेतला. पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में मौजूद गांवों में जंगली हाथियों के आवाजाही पर रोक लगाने के दिशा में पीटीआर प्रबंधन ने कवायद शुरू कर दी है. हाथी से प्रभावित गांवों की संख्या 200 से अधिक है. सभी गांवों में हाथी के इंट्री प्वाइंट की पहचान कर ज्रेडा से 2000 सोलर लाइट लगायी जायेगी. ताकि उनकी दूधिया रोशनी में हाथी अपनी मूवमेंट में रुकावट ला सके. इसके लिए हाथियों के कॉरिडोर को भी चिह्नित किया गया है. शुरुआती दौर में गांव के अंदर जिस पॉइंट से हाथी घुसते हैं और निकलते हैं, उस जगह पर सोलर लाइट लगाया जा रह है. इसके बाद में कॉरिडोर में सोलर लाइट लगाया जायेगा. हाल के दिनों में पलामू टाइगर रिजर्व ने सभी गांवों में हाथी आने पर उन्हें भगाने के लिए ग्रामीणों को मिर्ची और मोबिल से धुआं तैयार करने की विधि बताई गयी है. पूरे पलामू टाइगर रिजर्व में 50 ग्रामीणों को ट्रेनिंग दिया गया है, जो अन्य ग्रामीणों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. पूर्व में मशाल जलाकर उनके रोशनी के द्वारा हाथियों को भगाने का काम किया जाता रहा है. हाथियों को भगाने के क्रम में कई लोग घायल और मौत के शिकार भी हुए हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में करीब 170 हाथी हैं.जो बरसात के दिनों में जब धान की फसल लहलहाने लगती है तब गांव की ओर रुख करते हैं और धान की फसल को बर्बाद करते हैं. लेकिन कई बार छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों से भी हाथियों का झुंड में पहुंच जाता है जो काफी उत्पात मचाते हैं.हाथियों का यह झुंड छत्तीसगढ़ से गढ़वा एवं लातेहार के इलाके में आया था. काफी तबाही मचाने के बाद हाथियों का झुंड वापस लौट गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के अनुसार इस झुंड में 70 हाथी थे, जिनमें बड़ी संख्या में उनके बच्चे भी थे. इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेश कांत जेना ने कहा कि हाथी और मनुष्य के बीच संघर्ष को कम करने के लिए कई बिंदुओं पर काम किया जा रहा है.
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