चौड़ाई 50 फीट से घट कर रह गयी पांच फीट
अतिक्रमण. नाले में तब्दील हो गयी लातेहार के बीचोंबीच बहनेवाली जायत्री नदी सुनील कुमार लातेहार : लातेहार के बीचों-बीच बहने वाली जायत्री नदी नाली में तब्दील हो गयी है. कभी इस नदी की चौड़ाई 50 फीट हुआ करती थी जो आज मात्र चार से पांच फीट रह गयी है. नदी के किनारे जगह-जगह लोगों ने […]
अतिक्रमण. नाले में तब्दील हो गयी लातेहार के बीचोंबीच बहनेवाली जायत्री नदी
सुनील कुमार
लातेहार : लातेहार के बीचों-बीच बहने वाली जायत्री नदी नाली में तब्दील हो गयी है. कभी इस नदी की चौड़ाई 50 फीट हुआ करती थी जो आज मात्र चार से पांच फीट रह गयी है. नदी के किनारे जगह-जगह लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है. इस कारण नदी की यह स्थिति हुई. नदी के सिमट जाने से इलाके का जल स्तर भी गिर गया है.
जायत्री नदी का उद्गम स्थल तापा की तराई है और इसका संगम औरंगा नदी है. उद्गम स्थल संकुचित है, लेकिन जैसे जैसे यह नदी आगे बढ़ती है, चौड़ी होते जाती है. बुजुर्गों का कहना है कि वर्ष 1970-80 के दशक में इस नदी में बाढ़ आने पर भठ्ठी टोली एवं जुबली चौक के कई घर डूब जाते थे. जायत्री नदी के कारण ही लोग जुबली चौक को पहले नदी टोला के नाम से पुकारते थे.
जायत्री नदी के किनारे अतिक्रमण कर दुकान तक बना लिये गये थे, लेकिन झारखंड उच्च न्यायालय के सार्वभौमिक आदेश के उपरांत प्रशासन ने कई जगह से अतिक्रमण हटाया. अतिक्रमण हटाने के चार वर्षों बाद भी मलबा वहीं पड़ा हुआ है. यही नहीं अतिक्रमण हटाओ अभियान के बाद लोगों ने फिर से नदी किनारे कई जगह अतिक्रमण कर लिया है.
नतीजतन नदी संकुचित हो गयी है और पानी का बहाव प्रभावित हो गया है. अमवाटीकर में मानमति सिनेमा के पास तो नदी भर कर जगह को गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. थाना चौक पुल के पास भी कई लोगों ने नदी के किनारे की जमीन पर चहारदीवारी कर ली है. हालांकि अभी भी रेहड़ा, बानपुर, अमवाटीकर, बाजारटांड़ के लोग इस नदी में नहाते-धोते हैं.
गिरा जल स्तरजायत्री नदीके सिमट जाने से बानपुर, शिवपूरी, जुबली रोड, अमवाटीकर एवं पहाड़पुरी के कई इलाकों में तेजी से जल स्तर गिर रहा है.
क्या कहते हैं लोग
निर्दोष प्रसाद : जायत्री नदी अब बरसात में भी नहीं उफनती है. संगम स्थल पर कूड़ा कचरा फेंक दिये जाने के कारण जमीन उच्ची हो गयी है. नतीजतन नदी की धारा मुड़ जा रही है और पानी गुरहू नाला की तरफ अमवाटीकर जा रहा है.
अजय कुमार : जायत्री नदी का पानी इतना शुद्ध था कि जब लातेहार में चापानलों की संख्या कम थी तब कई मुहल्ले के लोग इस नदी का पानी पीते थे.
विकास कुमार : जायत्री नदी का सुंदरीकरण करने की आवश्यकता है. शहर के बीचों-बीच बहने के कारण अगर इसके किनारों को फिर से चौड़ा कर पार्क का रूप दिया जाये तो आकर्षक स्थल बन सकता है.