ठेकेदार व सभी इंजीनियरों पर प्राथमिकी दर्ज करें
घटिया निर्माण सामग्रियों के उपयोग किये जाने के कारण तीन बार पुल बहा ठेकेदार से बड़ी कार्रवाई इंजीनियरों पर होनी चाहिए लातेहार : चंदवा प्रखंड की सेरक पंचायत स्थित कुसुम नदी पर बने पुल के बहने के मामले की जांच रिर्पोट आते ही उपायुक्त प्रमोद कुमार गुप्ता ने मंगलवार को ठेकेदार सहित सभी इंजीनियरों पर […]
घटिया निर्माण सामग्रियों के उपयोग किये जाने के कारण तीन बार पुल बहा
ठेकेदार से बड़ी कार्रवाई इंजीनियरों पर होनी चाहिए
लातेहार : चंदवा प्रखंड की सेरक पंचायत स्थित कुसुम नदी पर बने पुल के बहने के मामले की जांच रिर्पोट आते ही उपायुक्त प्रमोद कुमार गुप्ता ने मंगलवार को ठेकेदार सहित सभी इंजीनियरों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश जारी किया है. उक्त पुल के बहने की खबर मिलते ही उपायुक्त श्री गुप्ता ने तत्काल निरीक्षण किया था और सदर अनुमंडल पदाधिकारी के नारायण एवं जिला अभियंता गगनदेव बैठा को 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था. मंगलवार की दोपहर जांच रिपोर्ट आते ही श्री गुप्ता ने प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया.
श्री गुप्ता ने प्रभात खबर को बताया कि ठेकेदार पर कार्रवाई से बड़ी कार्रवाई तो ग्राम्य अभियंत्रण संगठन के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता एवं कनीय अभियंता पर होनी चाहिए. तकनीकी खामियां एवं घटिया निर्माण सामग्रियों के उपयोग किये जाने के कारण पुल तीन बार बहा. उन्होंने कहा कि हर बार इन्हें छोड़ दिया गया, लेकिन उनके रहते ऐसा नहीं हो सकता है. यदि दोषी हैं तो कार्रवाई होगी, इसलिए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देते हुए सरकार को प्रतिवेदित किया गया है.
क्या है मामला
सांसग-सेरक-गुरतुर पथ पर स्थित कुसुम नदी पर पुल का निर्माण वर्ष 2007-08 में 90 लाख रुपये की लागत से ग्राम्य अभियंत्रण संगठन द्वारा कराया गया था. इसके ठेकेदार योगेंद्र साहु थे.
निर्माण के दौरान ही पहली बरसात में 16 जुलाई 2008 को पुल का कुछ हिस्सा बह गया. तत्काल मरम्मत करा देने से ठेकेदार समेत अभियंता बच गये. पुन: वर्ष 2011 की बरसात में उक्त पुल का 30 फीसदी हिस्सा बह गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. वर्ष 2014 में एक स्पैन बह गया जिस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई और मरम्मत करा कर ठेकेदार एवं अभियंता बचते रहे. इस बार 10 सितंबर को स्पैन के साथ एप्रोच पथ भी बह गया. इस पुल के बह जाने से सेरक, गुरतुर, मासियातू, मुरूप, पतरातू, कुंदरी, भालूगाड़ी, डीही समेत दो दर्जन गांवों के लोगों का संपर्क मुख्यालय से कट गया है.