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चार वर्षों के बाद मिला न्याय पीड़ितों ने कहा, कानून है जिंदा

विधवा को दबंग ने हाथ पैर बांध कर जला कर मार डाला था आरोपी को मुखिया ने 501 रुपये जुर्माना लेकर आरोप मुक्त कर दिया था अदालत ने दबंग के ऊपर आरोप को सत्य पाया सुनाया आठ वर्षों का सश्रम कारावास व जुर्माने की सजा सुनील कुमार लातेहार : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (द्वितीय) […]

विधवा को दबंग ने हाथ पैर बांध कर जला कर मार डाला था
आरोपी को मुखिया ने 501 रुपये जुर्माना लेकर आरोप मुक्त कर दिया था
अदालत ने दबंग के ऊपर आरोप को सत्य पाया सुनाया आठ वर्षों का सश्रम कारावास व जुर्माने की सजा
सुनील कुमार
लातेहार : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (द्वितीय) राजेश कुमार पांडेय की अदालत ने हत्या के आरोपी चोराठी गंझू को अधिकतम आठ वर्षों का सश्रम कारावास एवं दस हजार रुपये की सजा सुनायी है. सत्रवाद संख्या 30/13 की सुनवाई के उपरांत अदालत ने मामले में आरोपी को सत्य पाया तथा भादवि की धारा 304 पार्ट वन में आठ वर्षों का सश्रम कारावास तथा दस हजार रुपये जुर्माना तथा धारा 201 के तहत पांच वर्षों का सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपये का जुर्माना मुकर्रर्र किया है.
अभियोजन पक्ष की ओर से गवाहों को लोक अभियोजक बलराम साह ने अदालत में पेश किया तथा दलीलें दी. मालूम हो चंदवा थाना क्षेत्र के माल्हन पंचायत के पुटरी टोला निवासी विधवा देवंती देवी को गांव के ही दबंग माने जाने वाले चोराठी गंझू ने पुआल जलाने का आरोप लगा कर उससे नाराज हो कर हाथ पैर बांध कर जलती पुआल के ढेर में उसे डाल दिया था. वह चीखते चिल्लाते रही, लेकिन किसी ने उसे नहीं बचाया. जब पुआल की आग में वह पूरी तरह नहीं जली, तो उसे अपने घर के एक कमरे में बंद कर दिया था. हत्यारे ने उस पर पुआल में आग लगने का आरोप लगा कर ऐसी सजा दी थी.
तीन दिनों तक वह बंद कमरे से भूखे प्यासे एवं जलने की दर्द से चीखते रही, लेकिन उसे कमरे से बाहर नहीं निकाला. तीसरे दिन जब उसकी मौत हो गयी, तो गांव की पंचायत बैठी और तत्कालीन मुखिया ने 501 रुपये का अर्थ दंड लगा कर उसकी दाह संस्कार करने का आदेश दे डाला. उक्त विधवा का पुत्र नरेश गंझू, जो मुंबई में नौकरी करता है, उसे लगभग एक महीना बाद इस घटना की जानकारी मिली, तब उसने प्रभात खबर को आप बीती सुनायी. प्रभात खबर ने पड़ताल कर मामले को 21 अप्रैल 2012 को मुख्य पृष्ट पर प्रकाशित किया तब पुलिस हरकत में आयी और चंदवा थाना कांड संख्या 42/2012 दर्ज किया गया. पुलिस ने आरोपी को गिरफतार कर जेल भेजा तथा मामले का विचारण अदालत में हुआ.
अदालत के फैसले से न्याय मिली है
मृतका के पुत्र नरेश गंझू व सुरेश गंझू का कहना है कि चार वर्षों बाद ही सही उन्हें न्याय मिला है. अदालत ने ऐसे दरिंदे को सजा दे कर साबित किया है कि आरोपी अदालत से बच नहीं सकता है. उन्होंने कहा कि न्याय जिंदा है.

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