पशु मेला के रूप में पहचान है लातेहार के शिवरात्रि मेला की

बिहार, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के पशु पालक आते हैं मेले में लातेहार : शहर के बाजारटांड़ स्थित प्राचीन शिव मंदिर परिसर में लगने वाला महाशिवरात्रि मेला पशु मेला के रूप में जाना जाता है. इस मेला में न सिर्फ झारखंड वरन बिहार, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के पशु पालक मवेशियों की खरीद-बिक्री के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2017 8:55 AM
बिहार, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के पशु पालक आते हैं मेले में
लातेहार : शहर के बाजारटांड़ स्थित प्राचीन शिव मंदिर परिसर में लगने वाला महाशिवरात्रि मेला पशु मेला के रूप में जाना जाता है. इस मेला में न सिर्फ झारखंड वरन बिहार, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के पशु पालक मवेशियों की खरीद-बिक्री के लिए आते हैं. इस वर्ष भी इस मेला में बिहार व उत्तर प्रदेश के कई पशुपालक अपनी मवेशियों को यहां बेचने लाये हैं.
बिहार के सासाराम के रहने वाले कन्हाई यादव ने बताया कि वे पिछले 20 वर्ष से लातेहार के इस मेला में मवेशियों की खरीद बिक्री के लिए आते रहे हैं. उन्होंने बताया कि इससे पहले उनके पिताजी यहां आते थे. उनके पास दस हजार से लेकर 60-70 हजार रुपये तक की गाय है. इन गायों में एक समय में 20 से 25 किलोग्राम दूध देने की क्षमता है. उत्तर प्रदेश के मुगलसराय के रहने वाले अश्विनी यादव ने बताया कि इस मेला में कई नस्ल की गाय, बैल व भैंस मिल जाते हैं. वे पिछले पांच छह वर्षों से यहां से गाय खरीद कर ले जाते हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि अब इस मेला में पहले वाली बात नहीं रही.
मेला में ठेकेदार एवं उनके सहयोगियों द्वारा गलत तरीके से राजस्व की वसूली की जाती है, इस कारण मवेशियों की कीमत बढ़ जाती है.
हरिहरगंज पलामू के शिवदयाल सिंह ने बताया कि इस मेला में पशु व्यापार का आकर्षण अब धीरे धीरे कम हो रहा है. पशु पालक अब यहां आने से कतराने लगे हैं. छत्तरपुर के गौ पालक शिवबचन सिंह ने कहा कि वे पिछले 10-12 वर्षों से यहां आ रहे हैं. वे एक सप्ताह पूर्व पैदल ही अपने मवेशियों को लेकर छत्तरपुर से पैदल लातेहार के लिए चलते हैं. तकरीबन चार दिन में वे यहां पहुंच पाते हैं. लोगों का कहना है कि मेला में मवेशियों के व्यापारियों को सुरक्षा एवं अन्य सुविधा मिले, इसका प्रयास करना आवश्यक है, तभी इस मेले की पहचान बरकरार रह सकेगी.

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